नगर पंचायत, जगदीशपुर के वार्ड संख्या-17 मेें मिशन स्कूल के सामने अवस्थित श्मशान घाट पर मूलभूत सुविधाएँ नदारद है। इसके वजह से लोगों में आक्रोश व्याप्त है। फिलवक्त स्थिति इतनी खराब है कि श्मशान घाट में घास- फूस उग आए है और हालात जंगल जैसी बनी है। साफ- सफाई नहीं होने से लोगों को अंतिम संस्कार में काफी परेशानी हो रही है। पिछले मंगलवार को एक शव का दाह संस्कार करने गए लोग श्मशान घाट में सुविधाओं के नहीं उपलब्ध होने से काफी नाराजगी व्यक्त की। वहीं इसके पहले भी नगर के लोगों समेत सामाजिक संगठनों ने नगर पंचायत प्रशासन से श्मशान घाट के जीर्णोद्धार व चहारदीवारी कार्य को शीघ्र पूर्ण कराने और उसके समुचित साफ-सफाई कराने की मांग की जा चुकी है। लेकिन इस महत्वपूर्ण और अति आवश्यक योजना के क्रियान्वयन को लेकर नप प्रशासन गंभीर नहीं है।
सड़क चौड़ीकरण कार्य में श्मशान भूमि का कुछ हिस्सा सड़क में चले जाने की बात कह रहे अभिकर्ता
अपेक्षित श्मशान घाट बिहिया-पीरो मुख्य सड़क पर मिशन स्कूल के सामने अवस्थित है। उक्त सड़क के चौड़ीकरण कार्य होने के दौरान श्मशान भूमि का कुछ हिस्सा सड़क में चले जाने का बात कहकर अभिकर्ता योजना के अधूरे होने की बात कह रहे है। लेकिन बिहिया-पीरो सड़क के चौड़ीकरण का कार्य बीते डेढ़ वर्ष पहले ही शुरू किया गया था और श्मशान घाट के चहारदीवारी निर्माण के लिए कार्यालय द्वारा चार वर्ष पहले अभिकर्ता को अग्रिम के रूप में 6 लाख की राशि दे दी गयी थी। वैसे खानापूर्ति के नाम पर अभिकर्ता द्वारा श्मशान भूमि में कुछ मिट्टी डलवाने का कार्य किया गया था।
अंतिम संस्कार जैसे महत्वपूर्ण कार्य की महता को देखते हुए बीते वितीय वर्ष 2017-18 में ही संबंधित वार्ड पार्षद ज्योति कुमारी के द्वारा श्मशान घाट के जीर्णोद्धार व चाहरदीवारी कराने की मांग को लेकर प्रस्ताव सौंपा गया था। तब आनन- फानन में श्मशान घाट के चाहरदीवारी निर्माण कार्य योजना के लिए कुल 7 लाख 60 हजार 800 रुपये की प्राक्कलित राशि से योजना को पूर्ण कराने की स्वीकृति दी गयी थी। इसके बाद नगर पंचायत के कनीय अभियंता रौशन कुमार पांडेय को योजना का अभिकर्ता बनाया गया था। तब अभिकर्ता को जल्द निर्माण कराने के उद्देश्य से नगर पंचायत कार्यालय द्वारा अग्रिम राशि के रूप में एकमुश्त कुल 6 लाख रुपये की राशि भी सौंप दी गयी थी। लेकिन अभिकर्ता सह कनीय अभियंता के उदासीनता के चलते श्मशान घाट जैसे महत्वपूर्ण योजना का कार्य अभी भी अधर में लटका हुआ है।
प्रशासनिक मनमानी का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है कि चार सालों से योजना के मद में सरकारी राशि अभिकर्ता ने अपने पास रखी गयी है। साथ ही तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा सरकारी नियमों को ताक पर रख कर अग्रिम राशि के रूप में एकमुश्त 6 लाख रुपये की राशि अभिकर्ता को दे दी गयी। बावजूद इसके संबंधित अभिकर्ता पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। बताया जाता है कि नगर में ऐसी और भी कई ऐसी योजनाएं है जिसकी हालत श्मशान घाट के जीर्णोद्धार योजना जैसी है।
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