आजादी के बाद और मारपीट के साथ औरंगाबाद जिला मुख्यालय यानी अपने शहर को पहली बार पहला पार्क मिला। मारपीट में दो लोगों का सिर फट गया है। नए पार्क का नाम सत्येन्द्र नारायण सिन्हा रखा गया।
इस पार्क में नागरिक सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा गया है। करीब ढ़ाई एकड़ जमीन में नए पार्क का निर्माण नगर परिषद औरंगाबाद के द्वारा कराया गया है। मुख्य द्वार पर चांदी के कलर में मेटल का घोड़ा लगाया गया है। जिसके चारों तरफ आकर्षक लाइटें लगाई गईं है।
विधायक और नप दोनों के समर्थकों में मारपीट
उद्धाटन करने पहुंचे अधिकारियों के सामने ही स्थानीय आनंद शंकर और नप उपाध्यक्ष प्रतिनिधि सतीश सिंह के समर्थकों के बीच जमकर मारपीट हुई। खुशी का माहौल रणक्षेत्र में तब्दील हो गया। जिसके बाद कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया। लोग इधर-उधर भागने लगे। इस मौके पर डीडीसी अंशुल कुमार समेत कई अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
चिंतनीय -सुविधाओं की ऐसी धीमी रफ्तार कहीं देखी है क्या
जिला मुख्यालय को पार्क मिलना हर्ष के साथ चिंतनीय भी है। क्योंकि 47 साल पहले 26 जनवरी 1973 को औरंगाबाद जिला बना था। इतने वर्षो से हमारे शहर को पार्क नहीं मिला था। अब जरा सोचिए पार्क मिलने में चार दशक बीत गए तो स्टेडियम और सब्जी बाजार बनने में कितने दशक बितेंगे? शहर को महाजाम से निजात कितने पीढ़ी बाद निजात मिलेगी? शिक्षा, स्वास्थ्य सब का हाल बुरा है। आप इसे खुद समझते हैं। इसलिए हमारे लिए लिखना कोई जरूरी नहीं।
विधायक बोले- छत पर छठ तो, ये बड़ा जलसा क्यों?
नए पार्क के उद्धाटन समारोह में विधायक को निमंत्रण नहीं मिला। जिससे खफा विधायक जी सीधे कार्यक्रम स्थल पहुंच गए। बस उद्धाटन होने ही वाला था। मंच पर डीडीसी और जनप्रतिनिधि आसन थे। विधायक पहुंचे हीं प्रतिरोध करते हुए सवालिए लहजा में कहा कि मेरा शहर है मैं तो आउंगा। अब जिला प्रशासन व नगर परिषद बताएं कि जब छठ छत पर हुआ और कई तरह की पाबंदियां लगाई गई तो किस नियम के तहत पार्क के उद्धाटन के अवसर पर बड़ा जलसा किया जा रहा है। सांसद, विधायक और एमएलसी को क्यों नहीं बुलाया गया?
अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बोले- ये लोग विकास में बाधक
नगर परिषद के उदय गुप्ता और उपाध्यक्ष शोभा सिंह ने कहा कि स्थानीय विधायक विकास के बाधक हैं। इन्हें विकास पसंद नहीं। शहर को पहली बार पार्क मिला था, लेकिन इन्हें पचा नहीं। नगर की जनता का हम ख्याल करते हैं। आगे भी करते रहेंगे। जनता हमे इसी लिए चुनी है। विधायक जी को भी जनता दुबारा मौका दिया है। इन्हें विकास योजनाओं का विरोध करने के बजाए विकास की लंबी लकीर खींचनी चाहिए। जिससे शहर के लोगों को लाभ मिले।
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