पदस्थापन काल से ही अब तक इन 10 वर्षों में कई छोटे से लेकर बड़े मामलों में चर्चित हुए जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक रेहान अशरफ एक बार फिर चर्चा में हैं। संविदा आधारित पद डीपीएम होते हुए रेहान अशरफ ने सदर अस्पताल परिसर में बने चिकित्सकों के क्वार्टर में एक क्वार्टर अपने नाम लगभग 3 साल से एलॉट करा कर रखा है।
लगभग 32 महीने से डीपीएम रेहान अशरफ ने इस क्वार्टर का किराया ना तो जिला स्वास्थ्य समिति में जमा कराया है और ना ही स्वास्थ्य विभाग में जमा कराया है। इस पूरे मामले की पोल तब खुली है जब सदर अस्पताल के तत्कालीन अधीक्षक और चिकित्सक डॉक्टर जितेंद्र प्रसाद ने लिखित शिकायत किया है। डॉ. जितेंद्र प्रसाद ने इस पूरे मामले को लेकर डीएम, सीएस से लिखित शिकायत करते हुए कार्रवाई की मांग की है।
डीपीएम रेहान के नाम से जून 2018 से ही है आवास एलॉट
यहां बता दें कि डीपीएम रेहान अशरफ के नाम चिकित्सकों के क्वार्टर में जून 2018 से ही आवास आवंटित है। तत्कालीन अधीक्षक डॉ. जितेंद्र प्रसाद के द्वारा किए गए शिकायत पत्र की प्रतिलिपि सदर अस्पताल के अधीक्षक को भी दी गई है। बता दें कि यह आवास सदर अस्पताल के चिकित्सकों के लिए ही बना है। डॉ. जितेंद्र प्रसाद जब सदर अस्पताल के अधीक्षक पद पर थे तो उन्होंने अस्पताल के लिपिक मो. रिजवान से संबंध में कई बार जानकारी भी ली।
लिपिक मो. रिजवान ने इस संबंध में तत्कालीन अधीक्षक को गुमराह करते हुए अंधेरे में रखा और किराया जमा होने की बात कहते रहे। इस संबंध में पूर्व अधीक्षक और चिकित्सक डॉ जितेंद्र प्रसाद ने कहा कि वे जब अधीक्षक पद पर थे तो उन्होंने इस संबंध में संचिका खोज करवाई, लेकिन नहीं मिल पाई। डॉ जितेंद्र प्रसाद ने कहा कि डीपीएम अनाधिकृत रूप से ही आवास आवंटन करा रखे हैं।
एक चिकित्सक को लगता मासिक 12700 रुपया
चिकित्सकों के कॉलोनी में एक आवास के लिए एक चिकित्सक को 12700 रुपया मासिक भुगतान करना पड़ता है। जून 2018 से अब तक कुल 32 महीने का कुल किराया चार लाख 6 हजार 400रुपया होता है। डॉ. जितेंद्र प्रसाद ने कहा है कि इतनी राशि डीपीएम को जमा करनी चाहिए। उन्होंने राशि जमा कराने के साथ-साथ सदर अस्पताल के लिपिक रिजवान आलम से भी गलत जानकारी देने व मामले को छुपाने को लेकर कार्रवाई करने की मांग की।
क्या कहते हैं डीपीएम
डीएचएस के डीपीएम रेहान अशरफ ने कहा है कि उन्होंने कोई गलत नहीं किया है। उन्होंने कहा कि सरकार का निर्देश है कि डीपीएम, डिस्ट्रिक्ट अकाउंट मैनेजर आदि को आवास मुहैया कराना है। उन्हें एचआर की राशि नहीं दी जाती है। इसलिए किसी भी प्रकार की अनियमितता या मकान भाड़ा का भुगतान नहीं कर कोई गलत काम नहीं किया है। लगाए गए आरोप तथ्यहीन हैं।
मामले की पड़ताल करा कार्रवाई का जाएगी
^तत्कालीन अधीक्षक के स्तर से किये गए शिकायत की जानकारी मिली है। मामला संज्ञान में है इस मामले की पड़ताल करवाई जाएगी।
-डॉ.रूपनारायण कुमार, सीएस,अररिया
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