देव दीपावली यानी देवताओं की दीपावली। दीपावली के ठीक 15 दिन बाद देव दिवाली का पर्व मनाया जाता है। यह दीपावली गंगा नदी की पूजा के लिए काशी यानी बनारस में मनाई जाती है। लेकिन दरौंदा प्रखंड के विभिन्न गांवों में सोमवार को भी देव दिवाली की पूजा की गयी। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव धरती पर आते हैं।
इसलिए भगवान शंकर की नगरी काशी में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन गंगा नदी के जल पर और किनारे हजारों की संख्या में दीप जलाए जाते है। यह उत्सव मनाने के पीछे एक कारण यह भी बताया जाता है कि देवउठनी एकादशी के चार माह बाद भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं। इस खुशी में सभी देवता स्वर्ग से आ कर काशी के घाटों पर दिवाली मनाते हैं।
देव दीपावली यानी देवतओं के आने की खुशी में जो दीपावली गंगा तट पर मनायी जाती है। एक और पौराणिक कथा के अनुसार त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षक का भगवान शिव ने वध किया था। क्योंकि त्रिपुरासुर अपनी शक्तियों से सभी देवताओं को बार-बार परेशान किया करता था।इससे बचने के लिए सभी देवतागण भगवान शिव के पास पहुंचे और इस समस्या का हल मांगा।
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