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अब पीएमसीएच से डॉक्टर भी मरीज को कर रहे आईजीआईएमएस रेफर https://ift.tt/2WRCLvQ

कहते हैं बीमारी समय नहीं देखती। लेकिन पीएमसीएच अस्पताल में बीमार लोगों को इंतजार की दवा दी जा रही है। इमरजेंसी वार्ड में भी रोगियों को सामान्य रोगियों की तरह देखा जा रहा है। आपात देखभाल की जरूरत वाले मरीजों को भी डॉक्टरों से मिलने के लिए सामान्य ओपीडी जितना समय लग रहा है।

न्यूरो, हड्‌डी सहित दूसरे वार्ड में ऑपरेशन के लिए 7 से 20 दिनों का समय लिया जा रहा है। 22 दिसंबर के बाद होने वाले ज्यादातर ऑपरेशन को अनिश्चित काल के लिए टाल दिया गया है। अब दुर्घटना के शिकार आपात मरीजों को भी हड़ताल का हवाला देकर आईजीआईएमएस रेफर किया जा रहा है।

इसके अलावा भी जो रोगी पीएमसीएच पहुंच भी रहे हैं, डॉक्टर उन्हें भर्ती करने की जगह आईजीआईएमएस भेज रहे हैं। कुछ ऐसा ही मामला समस्तीपुर के रहने वाले गोलू कुमार के साथ हुआ। 27 दिसंबर को गोलू कुमार का एक्सीडेंट हो गया। समस्तीपुर के डॉक्टरों ने उसे पीएमसीएच रेफर कर दिया।

जहां वे अपने पिता दिलीप कुमार के साथ एंबुलेंस से पटना आया। इमरजेंसी में डॉक्टर उसे भर्ती करने की जगह आईजीआईएमएस जाने को कहा। दिलीप कुमार का कहना है कि समस्तीपुर से पटना आने में काफी देर हो चुकी है। यदि समय पर इलाज नहीं हुआ तो अनहोनी हो सकती है।

इसको देखते हुए वे डॉक्टरों से काफी गुहार लगाई, लेकिन वे भर्ती करने को तैयार नहीं है। इधर, हड़ताल के बहाने पीएमसीएच में अनियमिता और बढ़ गई है। समस्तीपुर के भूषण चौधरी 22 दिसंबर को एक दुर्घटना के बाद पीएमसीएच में भर्ती हुए थे। रविवार की सुबह उनकी मौत हो गई। हड़ताल से पहले उनका इलाज जमीन पर ही डॉक्टर कर रहे थे। हड़ताल के बाद कोई देखने भी नहीं आया और उनकी मौत हो गई। इसके बाद पोस्टमार्टम हाउस ले जाने के लिए भी उन्हें ट्राली नसीब नहीं हुई।

मेडिकल चेकिंग के नाम पर 1800 रुपए की मांग
पीएमसीएच में मरीजों को मेडिकल चेकअप के नाम पर जबरन पैसा वसूला जा रहा है। एक वार्ड से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए ट्रालीमैन 200 से 600 रुपए तो मेडिकल जांच के नाम पर 1800 रुपए की मांग की जाती है। कुछ ऐसा ही मोतिहारी के जगरनाथ महतो के साथ हो रहा है। किडनी की परेशानी की वजह से खेती करने वाला उनका बेटा बबुआ उनको पीएमसीएच में भर्ती करवा। लेकिन, फ्री में इलाज की जगह हर काम लिए पैसे की मांग की जा रही है।

भर्ती करने में देरी की वजह से हो गई सुनील की मौत
पीएमसीएच के टाटा वार्ड में भर्ती सरमेरा के सुनील कुमार की मौत हो गई। सुनील की रिश्तेदार विनिता कुमारी बेहोश हो जा रही था। परिजनों ने शनिवार को सुनील को भर्ती कराया था। सुनील के साला धर्मेंद्र कुमार का कहना था कि जीजा को शुक्रवार को ब्रेन हेमरेज की शिकायत हुई थी।

बिहारशरीफ से पीएमसीएच लेकर आए थे। धर्मेंद्र का आरोप था कि सुनील को रात में गेट के पास रख दिया जबकि उन्हें आईसीयू में रखने की जरूरत थी। धर्मेंद्र के मुताबिक सुनील के तीन बच्चे हैं। धर्मेंद्र ने कहा कि अस्पताल में देखने वाले डॉक्टर भी नहीं थे।

हड़ताल की वजह से टाटा वार्ड में नहीं मिला इलाज
वहीं शेखुपरा के विशेश्वर प्रसाद की शनिवार को मौत हो गई। पहले ये कोरोना संक्रमित हुए थे। करीब एक महीने से भर्ती थे। मृतक के भतीजा संदीप कुमार के मुताबिक पहले उनका कोविड अस्पताल में इलाज चला। वहां ठीक हो गए तो उन्हें तीन-चार दिन पहले टाटा वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। यहां चार दिन से डॉक्टरों की जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल हैं। संदीप का आरोप है कि हड़ताल की वजह से इलाज ठीक नहीं हुअा और उनकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि जिन्हें इलाज नहीं मिल रहा उनका क्या दोष है।

भ्रष्टाचार का जोर : पीएमसीएच में हर सेवा के बदले मांगा जा रहा पैसा
जगन्नाथ महतो और उनके बेटे सोमवार को पीएमसीएच परिसर में ही रोने लगे। किडनी की बीमारी का इलाज कराने आए जगन्नाथ महतो का कहना है कि कोई उनकी सुन नहीं रहा है। कभी इमरजेंसी वार्ड तो कभी टाटा और हथुआ वार्ड भेजा जा रहा है। लेकिन डॉक्टर कहीं नहीं मिल रहे। महतो का आरोप है कि जांच के नाम पर कुछ लोग पैसे भी मांग रहे हैं।

दो बार टल चुकी सर्जरी ब्रेन ट्यूमर की है मरीज
इमरजेंसी के न्यूरो विभाग में 8 दिसंबर को भर्ती मुन्नी कुमारी के आपरेशन की तारिख दो बार टल चुकी है। ब्रेन ट्यूमर की वजह से होने वाले दर्द को देखते हुए डॉक्टरों ने तीसरी तारिख 25 दिसंबर निर्धारित की थी। औरंगाबाद की रहने वाली 12 वर्षीय सनमोन कुमारी के सर में दिक्कत है। जिसकी वजह से अचानक ही तेज दर्द होता है।

डॉक्टरों ने उसके पिता रवि कुमार को ऑपरेशन की सलाह दी और 22 दिसंबर को इमरजेंसी में भर्ती कर लिया। इमरजेंसी के न्यूरो वार्ड में भर्ती समस्तीपुर के मीना देवी, ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित राजनाथ प्रसाद आपरेशन के लिए 10 दिनों से इंतजार कर रहे हैं। वही पर हड्डी वार्ड में भर्ती मधुबनी के सोनी देवी के हाथ का आपरेशन होना है।

कमेटी की अनुशंसा पर अमल करे सरकार
आईएमए भी जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल के तरीके पर ऐतराज जता रही है। लेकिन, सरकार से उनकी मांगे मानने की अपील की है। आईएमए के वरीय उपाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने बताया कि वर्ष 2014 में जूनियर डॉक्टरों के स्टाइपेंड को लेकर सरकार ने विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक हाई पॉवर्ड कमेटी गठित की गई थी। कमेटी की अनुशंसा को कैबिनेट से भी स्वीकृति मिली थी, लेकिन कैबिनेट के फैसले पर अबतक अमल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के तौर-तरीके को कहीं से भी जायज नहीं ठहराया जा सकता है।

जू. डॉक्टरों का कैंडल मार्च, मरीज रहे परेशान
पटना सिटी| स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टर पिछले पांच दिनों से हड़ताल पर हैं। एनएमसीएच जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर रामचंद्र कुमार के नेतृत्व में रविवार की शाम को कैंडल मार्च निकाला गया।

एक बार राउंड के बाद नहीं आते डॉक्टर
अस्पताल में भर्ती मरीजों ने कहा कि डाक्टर एक बार राउंड कर के जाते हैं,फिर नहीं आते। ऐसे में परेशानी बढ़ गई है। संपतचक से आए मनोज कुमार ने बताया कि बेटा को उपचार कराने आए हैं। कुछ देर तक ऑटो पर बैठे रहे, फिर उपचार हुआ। पटना सिटी से आये हरेंद्र ने बताया कि अपने भाई को लेकर उपचार कराने पहुंचे हैं।

कैदियों का भी नहीं हो रहा इलाज
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से कैदियों का भी मेडिकल चेकअप नहीं हो रहा है। इसकी वजह से पिछले दो दिनों हथकड़ी लगाए एक कैदी वार्ड में भर्ती है। जिसकी सुरक्षा के लिए चार पुलिसकर्मी भी तैनात है। जिसमें दो पुलिसकर्मी लगातार पहरेदारी कर रहे हैं। सिपाहियों का कहना है कि सूचना मिलने के बाद भी कोई डॉक्टर मौके पर नहीं पहुंचा।



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पीएमसीएच में सुनील के शव से लिपटकर रोती रिश्तेदार।


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