स्मार्ट सिटी प्राेजेक्ट के तहत चल रहे सैंडिस कंपाउंड के साैंदर्यीकरण के काम में गड़बड़ियाें के सबूत राताें-रात गायब किए जा रहे हैं। पहले वहां बन रहे वाकिंग ट्रैक से खराब ईंटें बदलकर नई लगाई गईं। अब पूरी ईंट ही गायब कर दी।
कमिश्नर वंदना किनी ने निर्माण एजेंसी सिंघल इंटरप्राइजेज काे क्वालिटी के मामले में क्लीन चिट दी थी और प्रेस कांफ्रेंस में एजेंसी का गुणगान किया था। ऐसे में सवाल है कि जब काम बढ़िया हुआ ताे पैदल पथ पर बिछाई ईंटें को रातों रात उखाड़ने की क्या जरूरत पड़ गई? मंगलवार रात सभी ईंटें उखाड़कर गायब कर दी गई। एजेंसी की ऐसी हरकताें से यह साफ हाेने लगा है कि दैनिक भास्कर ने 11 दिसंबर काे सैंडिस में निर्माण काे लेकर जितनी गड़बड़ियां बताईं-गिनाईं थीं, वे सब सच साबित हाेने लगी हैं। तय है कि ये जांच से बचने की जुगत है। सैंडिस कंपाउंड सह जयप्रकाश उद्यान के अंदर जाने के रास्ते में बने पैदल पथ से करीब 300 मीटर जमीन पर बिछाई गई कच्ची ईंटें हटा ली गईं। अब वहां केवल मिट्टी बची है।
ज्ञात हो कि इंजीनियरिंग काॅलेज की टेक्निकल टीम ने जब जांच की थी ताे उस समय पत्थराें में मिट्टी व डस्ट की मिलावट, बालू में बड़े पत्थर व मिट्टी के ढेले अाैर कच्ची ईंट मिली थीं। वाकिंग ट्रैक पर पानी डालने के लिए भी कोई ड्रम या अन्य संसाधनाें में पाइप नहीं दिखे थे। लेकिन बुधवार काे वाकिंग ट्रैक पर दाे-दाे ड्रम से पानी डालते मजदूर दिखे। डस्ट भरे पत्थराें काे अलग करती महिला मजदूर दिखीं। अब जब मामला तूल पकड़ रहा है और खुद विधायक अजीत शर्मा ने भी निगरानी विभाग से जांच कराने की मांग सीएम से की है ताे सबूत नष्ट करने की कोशिश की जा रही है।
(पूरी प्रक्रिया से संबंधित वीडियो व अन्य दस्तावेज दैनिक भास्कर के पास सुरक्षित हैं।)
कमिश्नर की बात को झुठलाती दो तस्वीरें
दोनों में बस रातभर का फर्क है। पहली तस्वीर मंगलवार शाम 5 बजे व दूसरी बुधवार सुबह की है। भास्कर ने टेक्निकल टीम के साथ ईटों की क्वालिटी पर भी बात की थी। उसे एक्सपर्ट ने खराब बताया था। ट्रैक की ईंटें मिट्टी की तरह बिखर रही थी। ठेका एजेंसी ने भी यह माना था, लेकिन कमिश्नर ने प्रेस कांफ्रेंस में एजेंसी की तारीफ की। क्वालिटी पर सर्टिफिकेट भी दिया। अब सवाल है, यदि क्वालिटी अच्छी थी तो ईंटें गायब क्यों कर दी गईं?
विधायक अजीत शर्मा बोले-संदेह के घेरे में हैं खुद कमिश्नर, इसलिए सबूत मिटा दिए गए
इधर, कांग्रेस विधायक दल के नेता व नगर विधायक अजीत शर्मा ने सवाल उठाया है कि अगर सब कुछ ठीक था, ताे सैंडिस से भ्रष्टाचार के सबूत क्याें मिटाए जा रहे हैं? विधायक ने यह भी कहा कि प्रमंडलीय अायुक्त के दबाव में अब तक इंजीनियरिंग काॅलेज से जांच रिपाेर्ट नहीं आई है और अब एनआईटी काे जांच का जिम्मा दे दिया गया। इस पूरे खेल में प्रमंडलीय आयुक्त खुद शक के घेरे में हैं, ठेकेदार से उनकी मिलीभगत है। सरकार उन्हें तनख्वाह काम करने के लिए देती है, न कि ठेकेदार काे बचाने के लिए। ठेकेदार के बचाव में कमिश्नर ने प्रेस कांफ्रेंस तक कर डाली। उन्हाेंने कहा कि अफसर काे साइट पर जाकर काम देखना चाहिए और जनता काे गुमराह करने की काेशिश नहीं करनी चाहिए।
अब कंपनी का तर्क सुनिए
सिंघल एजेंसी के लाइजन अधिकारी अमूल्य दास ने कहा कि पटना स्थित एनआईटी में टेस्ट के लिए ईंट का सैंपल भेजा है, इसलिए सारी ईंटें उखाड़ी गईं। उनमें कुछ ईंटें बाइक चलाने से टूट गई थीं। काम कर रहे मजदूरों के रहने के लिए घर बनाने के लिए ईंटों की आवश्यकता थी।
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