शहर के भरावपर गुरुद्वारा में सिख श्रद्धालुओं ने सोमवार को गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुनानक देव महाराज की जयंती मनायी।कोरोना को लेकर जयंती समारोह सादगी से मनाई गई। गुरुद्वारा में इस साल लंगर और आतिशबाजी नहीं हुआ। दिन भर गुरुवाणी से संगत निहाल हुए।
निशान साहेब का चोला यानी नया झंडा बदला गया। सत श्री अकाल, वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह का नारा लगाया गया। गुरुद्वारा के प्रधान ग्रंथी सतनाम सिंह ने बताया कि गुरुनानक देव महाराज का 551वां प्रकाश उत्सव वर्ष चल रहा है। 1507 ईं में गुरुनानक देव ने बिहार की धरती पर कदम रखा था।
पंजाब, बनारस, काशी, गया, राजगीर होते हुए बिहारशरीफ पहुंचे और भरावपर में संगत को स्थापित किया। संगत में शामिल श्रद्धालुओं ने नानक देव के तीन संदेशों को आत्मसात किया। जिसमें अपने हाथों काम करना, मिल बांटकर खाना और प्रभु ईश्वर का नाम जपना शामिल है।
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