आज डिजिटल माध्यम समय की जरूरत हो गई है। हमारी संस्कृति, हमारी कला हमारी विविधता है, जिसे उचित माध्यम नहीं मिलने से कहीं न कहीं वह पीछे थी। हमारी इस पहचान और ताकतवर कला-शिल्प को एक नया माध्यम मिला है। यह बातें बिहार की उपमुख्यमंत्री और उद्योग मंत्री रेणु देवी ने मंगलवार को विकास भवन स्थिति उद्योग विभाग के सभागार में हुए कार्यक्रम में कहीं।
उपमुख्यमंत्री ने बिहार के उपस्थित कलाकारों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आप अपनी कला को तैयार करने में जिस मनयोग और भावनाओं का प्रयोग करते हैं, वह उसे जीवंत कर देता है। हम कला के माध्यम से अपनी भावनाएं और अपनी आत्मा को पिरोते हैं। ऐसे में इसके पर्याप्त प्रचार-प्रसार से हम बिहार के बाहर और दुनिया के कोने-कोने में इसे उचित तरीके से उभर पाएंगे। बिहार की कला काफी समृद्ध है और इसमें हमारी आत्मा बसती है।
संस्कृति से होती है समाज और प्रदेश की पहचान
उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने कहा कि किसी भी समाज और प्रदेश की पहचान उसकी संस्कृति से होती है। जिन नई वेबसाइटों का लोकार्पण हुआ है, उसके माध्यम से बिहार की कला व हस्तशिल्प को नए बाजार मिलेंगे। इन साइटों के माध्यम से कोई भी व्यक्ति सीधे हस्तशिल्प के उत्पादों को खरीद सकेगा। उद्योग विभाग के सचिव नर्मदेश्वर लाल ने उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के इन प्रयासों की सराहना की। उपमुख्यमंत्री और अन्य अतिथियों ने उपेंद्र महारथी शोध अनुसंधान संस्थान के वार्षिक कैलेंडर, त्रैमासिक पत्रिका उद्योग संवाद और संस्थान के वेबसाइट के साथ-साथ ई-कॉमर्स पोर्टल का लोकार्पण किया।
नई ऊंचाइयों को छू रही बिहार की शिल्प कला
कार्यक्रम में मौजूद प्रख्यात चित्रकार श्याम शर्मा ने कहा कि संस्थान बिहार की पहचान के रूप में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सुशोभित हो रहा है। कार्यक्रम के अंत में उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि सभी के सहयोग से बिहार की कला और शिल्प नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है और संस्थान अपनी जिम्मेदारियों को आगे बढ़कर निभा रहा है। कार्यक्रम में उद्योग विभाग के निदेशक पंकज कुमार सिंह, अपर सचिव प्रदीप कुमार, राजकुमार लाल मौजूद थे।
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