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baabar ka tathy in hindi



                                    Zahir-ud-din Muhammad Babur

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मुगलवंश का संस्थापक बाबर एक लूटेरा था। उसने उत्तर भारत में कई लूट को अंजाम दिया। मध्य एशिया के समरकंद राज्य की एक बहुत छोटी सी जागीर फरगना (वर्तमान खोकन्द) में 1483 ई. में बाबर का जन्म हुआ था।सन 1526-1857 तक भारतीय उप महाद्वीप पर मुग़लों ने शाशन किया था। मुग़ल वंश की शुरुआत करने वाला और पहला मुग़ल बादशाह बाबर था। जो Uzbekistan से भारत आया था। आगे चलकर इस वंश में जहाँगीर, अकबर, शाहजहाँ और औरंगजेब जैसे बादशाह हुए।

इतिहासकारों के अनुसार 1528 में बाबर के सेनापति मीर बकी ने अयोध्या में राम मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद बनवाई थी। बाबर एक तुर्क था। उसने बर्बर तरीके से हिन्दुओं का कत्लेआम कर अपनी सत्ता कायम की थी। मंदिर तोड़ते वक्त 10 हजार से ज्यादा हिन्दू उसकी रक्षा में शहीद हो गए थे।


भारत के प्रथम मुगल सम्राट बाबर के आदेश पर मंदिर की जगह मस्जिद का निर्माण किया गया। मीर बाकी ने इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा। 1940 के दशक से पहले, मस्जिद को मस्जिद-इ-जन्मस्थान कहा जाता था ध्वस्त मंदिर के स्थान पर मंदिर के ही टूटे स्तंभों और अन्य सामग्री से आक्रांताओं ने मस्जिद जैसा एक ढांचा जबरन वहां खड़ा किया, लेकिन वे अजान के लिए मीनारें और वजू के लिए स्थान कभी नहीं बना सके।


उस दौरान के इतिहास अनुसार राम मंदिर को बचाने के लिए 15 दिन तक संघर्ष चला था। अयोध्या में रक्त की नदियां बह गई थी। 10 हजार से अधिक हिन्दू शहीद हो गए और अंत में आक्रांताओं ने मंदिर को तोपों से उड़ा दिया। हालांकि बाद में जब हिन्दुओं का जोर चला तब फिर मंदिर को वहां स्थापित किया गया लेकिन उसे फिर से तोड़ दिया गया।



1528 से 1949 ईस्वी तक श्रीराम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण हेतु 76 से अधिक संघर्ष और युद्ध हुए। इस पवित्र स्थल हेतु श्रीगुरु गोविंदसिंह जी महाराज, महारानी राज कुंवर तथा अन्य कई विभूतियों ने भी संघर्ष किया। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि राम मंदिर संघर्ष में अब तक 1,76,000 हिन्दुओं ने अपने जीवन की आहुति दे दी है।

* मुग़लकाल मे अपराधी को मृत्युदंड देने का जो आम तरीका था, वो बड़ा ही भयानक था। अगर किसी को मौत की सजा सुनाई जाती थी तो, उसको जमीन पर लेटा दिया जाता था। और हाथी अपने पैरों से उसका सीना तोड़ देता था, या फिर उसका सिर कुचल दिया करता था।

* कोहिनूर के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे। पर आज में आपको उससे भी बहुमूल्य चीज़ के बारे में बताता हूँ, जो कभी हमारे हिंदुस्तान में हुआ करती थी। और जिसके बारे में आजकल बहुत कम लोग ही जानते होंगे।
तख्त-ए-ताउस जो कि हीरे जवाहरातों से जरा एक वेशकीमती सिंघासन था। इसको बादशाह शाहजहाँ ने बनवाया था। इसमे ठोस सोने के छह पाए थे। इसमे जवाहरात, मोतियों और नीलम से जड़े दो मोर थे।
ताउस शब्द अरबी भासा का शब्द है , जिसका मतलब मोर होता है। इसलिए इसको मयूर सिंघासन भी कहा जाता था। तख्त-ए-ताउस की कीमत 17वी सदी में भी करोड़ों में थी। और इसे बनाने में 7 साल लगे थे। सारा सिंघासन वेशकीमती रत्नों, मोतियों और सोने का बना हुआ था। और इसे खास मौकों पर ही बादशाह के दरबार मे लाया जाता था। तख्त-ए-ताउस पहले आगरा के किले में था। बाद में इसे दिल्ली के लाल किले में लाया गया था। इतिहास में ऐसा अद्भुत तख्त न तो शाहजहाँ से इससे पहले... और ना ही उसके बाद किसी राजा महाराजा ने बनवाया था। ईरान के बादशाह

* नादिर शाह ने जब दिल्ली पर हमला किया। तो सारी धन दौलत को लूटने के साथ साथ वो तख्त-ए-ताउस को भी अपने साथ ईरान ले गया था। सन 1747 में नादिर शाह की हत्या हो गयी थी। और इसके बाद ये सिंघासन अचानक गायब हो गया। तब से लेकर आज तक इसका कोई अता-पता नही है, की ये कहा गया ? किसने लिया ? समय समय पर सरकार इसका पता लगाने की कोशिश करती रही है।

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