गुरु गोबिन्द सिंह
Guru gobind singh |
गुरु गोबिन्द सिंह (जन्म:पौष शुक्ल सप्तमी संवत् 1723 विक्रमी तदनुसार 26 दिसम्बर 1666- मृत्यु 7 अक्टूबर 1708 ) सिखों के दसवें गुरु थे। उनके पिता गुरू तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त ११ नवम्बर सन १६७५ को वे गुरू बने। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे।गुरु गोबिंद सिंह जी सिखों के 10वें गुरु थे. उनका जन्म पटना साहिब में हुआ था. साल 1699 में गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. यह सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है. गुरु गोबिंद सिंह ने ही गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित किया था. गुरु गोबिंद सिंह का उदाहरण और शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रेरित करता है. गुरु गोविंद सिंह ने जीवन जीने के पांच सिद्धांत दिए, जिन्हें पंच ककार कहा जाता है. सिखों में इन पांच चीजों का अनिवार्य माना जाता है. ये पांच चीजें हैं- केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा.
पटना साहिब में उमड़ती है भीड़ बिहार के पटना साहिब गुरुद्वारा में संगतों की भारी भीड़ उमड़ती है. इस गुरुद्वारें में वो सभी चीजें मौजूद हैं जो जिसका इस्तेमाल गुरु गोविंद सिंह जी करते थे. यहां गुरु गोविंद की छोटी कृपाण भी मौजूद है जिसे वो हमेशा अपने पास रखते थे. इसके अलावा यहां गुरु गोंविद जी की खड़ाऊ और कंघा भी रखा हुआ है. यहां वो कुआं भी अब तक मौजूद है जिसका इस्तेमाल गुरु गोविंद सिंह जी की मां पानी भरने के लिए करती थीं.
* धरम दी किरत करनी: अपनी जीविका ईमानदारी पूर्वक काम करते हुए चलाएं
* दसवंड देना: अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान में दे दें.
* गुरुबानी कंठ करनी: गुरुबानी को कंठस्थ कर लें.
* कम करन विच दरीदार नहीं करना: काम में खूब मेहनत करें और काम को लेकर कोताही न बरतें.
* धन, जवानी, तै कुल जात दा अभिमान नै करना: अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर घमंडी होने से बचें.
* दुश्मन नाल साम, दाम, भेद, आदिक उपाय वर्तने अते उपरांत युद्ध करना: दुश्मन से भिड़ने पर पहले साम, दाम, दंड और भेद का सहारा लें, और अंत में ही आमने-सामने के युद्ध में पड़ें.
* किसी दि निंदा, चुगली, अतै इर्खा नै करना: किसी की चुगली-निंदा से बचें और किसी से ईर्ष्या करने के बजाय मेहनत करें.
* परदेसी, लोरवान, दुखी, अपंग, मानुख दि यथाशक्त सेवा करनी: किसी भी विदेशी नागरिक, दुखी व्यक्ति, विकलांग व जरूरतमंद शख्स की मदद जरूर करें.
* बचन करकै पालना: अपने सारे वादों पर खरा उतरने की कोशिश करें.
* शस्त्र विद्या अतै घोड़े दी सवारी दा अभ्यास करना: खुद को सुरक्षित रखने के लिए शारीरिक सौष्ठव, हथियार चलाने और घुड़सवारी की प्रैक्टिस जरूर करें. आज के संदर्भ में नियमित व्यायाम जरूर करें.
* जगत-जूठ तंबाकू बिखिया दी तियाग करना: किसी भी तरह के नशे और तंबाकू का सेवन न करें.
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