10 माह में 8 बैठक और 15 आदेश बाद भी विश्वविद्यालयों से सहायक प्रोफेसर की अबतक सही रिक्ति नहीं मिल सकी है। राजभवन व शिक्षा विभाग में पिछले साल से ही इस मामले पर 8 महत्वपूर्ण बैठक हो चुकी है। विभिन्न तिथियों में 15 आदेश जारी कर विवि को डेडलाइन दी गई। बावजूद रिक्ति नहीं मिली। 11 विवि से सहायक प्रोफेसर की 4492 रिक्त मिली है, लेकिन यह भी बिना रेशनेलाइजेशन व रोस्टर अनुसार है। एक बार फिर 15 जून को राज्यपाल फागू चौहान ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति को रेशनेलाइजेशन व रोस्टर अनुसार शिक्षा विभाग को रिक्ति भेजने का आदेश दिया है।
विवि में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति राज्य विवि सेवा आयोग से होनी है। आयोग का गठन पिछले साल ही हो चुकी है। रिक्ति नहीं मिलने से बहाली प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है। विवि को रोस्टर क्लियरेंस में परेशानी दूर करने प्रमंडलीय कार्यालय के कर्मी व सामान्य प्रशासन के विशेषज्ञ से प्रशिक्षण दिलाया गया है। रेशनेलाइजेशन के आधार पर विषयवार रिक्ति 17 अप्रैल तक मांगी गई थी। इसके पहले दिसंबर फिर जनवरी, फरवरी व मार्च 2020 में कई तिथि दी गई थी। कोरोना के कारण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पिछली बैठक हुई थी।
11 विश्वविद्यालय से मिली 4492 रिक्ति
शिक्षा विभाग का लक्ष्य है विधानसभा चुनाव के पहले सहायक प्रोफेसर नियुक्ति के लिए वैकेंसी आ जाए। विवि से विषयवार रिक्ति मिलने के बाद शिक्षा विभाग समीक्षा करेगा। इसके बाद विवि सेवा आयोग को रिक्ति देगा। अबतक जो रिक्ति विभाग को मिली है, उसमें सबसे अधिक बीआरए विवि में 1023 रिक्ति मिली है। इसके बाद एलएन मिथिला विवि में 785 रिक्ति बतायी गई है। पाटलिपुत्र विवि में 455 रिक्ति है।
वीर कुंवर सिंह विवि में 424, पूर्णिया विवि में 203, तिलकामांझी विवि भागलपुर में 249, जेपी विवि में 311, मुंगेर विवि में 236, बीएन मंडल विवि में 114 और पटना विवि 294 और मगध विवि में 398 रिक्ति भेजी है। पहले की रिक्ति और आवश्यकता के आधार पर सरकार मान रही थी कि लगभग 6500 सहायक प्रोफेसर के पद पर बहाली होगी, लेकिन 11 विवि से 4492 रिक्ति मिली है।
शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों से नामांकित 25% कमजोर वर्ग के बच्चों की मांगी रिपोर्ट
शिक्षा विभाग ने जिलों से शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में कमजोर वर्ग के नामांकित 25 प्रतिशत बच्चों की रिपोर्ट एक सप्ताह में मांगी है। प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने सीतामढ़ी, बेगूसराय व पश्चिम चंपारण को छोड़कर सभी जिलों के डीईओ व डीपीओ को इसके लिए पत्र भेजा है।
इसमें कहा है कि बिहार राज्य बच्चों की मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 के तहत अपने-अपने जिलों के निजी विद्यालय में वर्षवार 25 प्रतिशत गरीब व कमजोर वर्ग के बच्चों की रिपोर्ट एक सप्ताह के अंदर भेज दें। निजी स्कूलों में नामांकित कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए प्रति विद्यार्थी सरकार स्कूल को फीस के रूप में सालाना राशि देती है।
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