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नालियां न उफने और गंगा भी दूषित न हो, इसलिए बनी 254 करोड़ की योजना, जिम्मेदारों की गड़बड़ी से सब ठंडे बस्ते में https://ift.tt/30Y9EKE

शहर के नालों को दुरुस्त करने के साथ ही गंगा को दूषित पानी से बचाने के लिए 264 करोड़ से 65 एमएलडी पानी को साफ करने की योजना कागजों में दफन हो गई। लॉकडाउन में 34 करोड़ से बनने वाले स्टॉर्म ड्रेनेज का काम भी ढाई माह से बंद है। अब तक 16 किलोमीटर में महज साढ़े चार किलोमीटर ही नाला बना। लिहाजा बारिश में नाले तो उफन रहे हैं, लेकिन गंगा में भी सीधे गंदा पानी जा रहा है। सोशल ऑडिट के लिए निकली एक्सपर्ट की टीम ने भी माना कि कोई भी सिस्टम लगातार मेंटनेंस मांगता है। ऐसा न होेने पर ही नालियां उफन रही है और गंगा दूषित हो रही है।
दरअसल, नालों के पानी को ट्रीट कर गंगा को दूषित होने से बचाने के लिए 1993 में 11 एमएलडी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट साहिबगंज में 8.9 एकड़ जमीन पर 12 करोड़ से बना था। 2005 तक यह व्यवस्था बनी, लेकिन सिस्टम की देखरेख न होने से यह खराब हो गई। नतीजा, पूरा सिस्टम बंद हो गया। अब शहर के 40 बड़े नाले का मुंह सीधे गंगा में खुल रहा है। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार ने शहर के नाले और आबादी के अनुसार सर्वे भी कराया। इसके बाद 254 करोड़ का एस्टीमेट बना, लेकिन टेंडर में जाने से पहले ही तकनीकी समिति ने इसकी कमियां पकड़ी और इसे खारिज कर दिया। इसी के साथ पूरी योजना ठंडे बस्ते में चली गई।

नालों का सर्वे भी अधूरा
40 नालों में 20 प्रमुख नालों को सर्वे टीम ने छोड़ दिया था। इससे दोबारा सर्वे करने की तैयारी चल रही है। लेकिन हैदराबाद की जिस एजेंसी ने सर्वे किया था, अब दोबारा सर्वे को तैयार नहीं है। अब राज्य सरकार दूसरी एजेंसी की तलाश कर रही है।
1.10 करोड़ लीटर है क्षमता
इसकी क्षमता 1.10 कराेड़ लीटर गंदे पानी काे साफ करने की है। इसके लिए खंजरपुर से विश्वविद्यालय तक के सभी बड़े नालों को ह्यूम पाइप से प्लांट तक जोड़ा गया। ताकि इन इलाकों में शहर के नालों का पानी सीधे गंगा में न जाए। अब भी पांच जगहों पर संप और पंपिंग स्टेशन बने हैं, लेकिन सब खराब हो चुके हैं।
ऐसी थी प्रक्रिया : महराज घाट, कोयलाघाट, नया बाजार, सीएमएस हाईस्कूल आदमपुर और विश्वविद्यालय गेट के पास घाट पर संप बना है। इन जगहों से नाले का पानी ट्रीटमेंट प्लांट में लाने के लिए पाइपलाइन बिछी है। यहां पानी को साफ कर गंगा में डाला जाता था।

इंजीनियर पुष्पराज ने बताया कि ट्रीटमेंट प्लांट कोई भी हो, एक तय समय के बाद वह पुराना होता है और काम के लायक नहीं रहता। जब उसका मेंटनेंस समय-समय पर हो तो पुराने प्लांट भी अपडेट होते हैं। शहर में ऐसा नहीं हुआ।

अब फिर कराया जाएगा शहर के नालों का सर्वे
टेंडर फाइनल होने से पहले ही सर्वे एजेंसी की रिपोर्ट को तकनीकी समिति ने खारिज कर दिया था। अब दूसरी एजेंसी से सर्वे करवाएंगे। इसमें 40 नालों की जगह 20 नालों को ही शामिल किया गया था। सर्वे के बाद टेंडर होगा।
राजेश कुमार, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, बुडको
तकनीकी कमी के कारण नहीं हुआ टेंडर
254 कराेड़ से बनने वाले सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में कुछ तकनीकी कमी है। इसलिए टेंडर नहीं किया गया। जल्द इस पर काम करेंगे।
सुरेश शर्मा, नगर विकास मंत्री



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साहेबगंज का बंद सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट। नालियाें का पानी सीधे गंगा में गिर रहा है।


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