उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार के हर व्यक्ति का बैंक में खाता होना चाहिए। जिनका नहीं है उनको खोजकर बैंक खाता खोले। सरकार इसमें हर संभव मदद करेगी। बैंक में खाता होने से सरकार, डीबीटी के माध्यम से पारदर्शी तरीके से पैसा ट्रांसफर कर देती है। राज्य में 10.12 करोड़ सक्रिय बैंक खाते हैं। जिनमें 7.76 करोड़ आधार व 6.98 करोड़ मोबाइल से जुड़े हुए हैं। इसके जरिए ही कोरोना संकट के ढाई महीने के दौरान केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा 14,300 करोड़ रुपये गरीबों के जनधन खाते में बिना किसी बिचैलिए व दलाल के सीधे भेजे जा सके हैं। राज्य की जनंसख्या 12 करोड़ के करीब है। बैंक को चालू वित्तीय वर्ष में ही बांकी बचे लोगों का खाता खोलना होगा। उपमुख्यमंत्री सोमवार को चालू वित्तीय वर्ष की पहली राज्य स्तरीय बैंकर्स कमिटी की बैठक के बाद वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। उन्होंने राज्य के सभी 44 हजार गांव में बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया। बैंकों से कहा कि अभी 17 हजार गांव के लोगों को ग्राहक सेवा केंद्र, बिजनेस कॉरस्पोंडेंट या बैंक मित्र के सहारे यह सुविधा मिल रही है। बांकी बचे 27 हजार गांवों में यह सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। इससे स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार भी मिलेगा।
12 लाख दुग्ध उत्पादक किसान को भी मिलेगा केसीसी
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बैंकों को निर्देश दिया गया कि 31 जुलाई तक विशेष अभियान चला कर मिल्क यूनियन से जुड़े 12 लाख दुग्ध उत्पादक किसानों को किसान क्रेडिड कार्ड (केसीसी) के तहत बिना किसी बंधक के 1.60 लाख का लोन दें। पिछले वर्ष 1.66 लाख को ही किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए थे। सरकार ने निर्देश दिया कि पीएम किसान निधि के तहत निबंधित केसीसी से वंचित सभी किसानों को किसान क्रेडिट की सुविधा दी जाए। इसके लिए एलपीसी को डिजिटल कर दिया गया है, अब बैंक सीधे पोर्टल पर जाकर जांच कर सकेंगे।
वार्षिक साख योजना की उपलब्धि व साख-जमा अनुपात में कमी पर जताई नाराजगी
उपमुख्यमंत्री ने वार्षिक साख योजना की उपलब्धि व साख-जमा अनुपात में कमी पर नाराजगी जताई। कहा- बैंकों हर हाल में वार्षिक साख योजना लक्ष्य को पूरा करना होगा। वर्ष 2018-19 की 44.09 फीसदी की तुलना में 2019-20 में साख-जमा अनुपात 43.03 फीसदी रही है। यह लगभग एक फीसदी कम है। बिहार लगातार राष्ट्रीय 78 फीसदी से काफी पीछे चल रहा है। बैंक जमा की तुलना में कम ऋण दे रहा है। बिहार का पैसा विकसित राज्यों को भेजा जा रहा है। यह कतई उचित नहीं है।
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