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संस्कृत, हिंदी के साथ क्षेत्रीय भाषा में भी होगी आयुर्वेद की पढ़ाई, चार के बजाय अब तीन बार ही होगी परीक्षा https://ift.tt/30DCDTN

(अजय कुमार सिंह )अब किसी भी मान्यता प्राप्त भाषा में आयुर्वेद की पढ़ाई संभव हो सकेगी। सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (दिल्ली) ने साढ़े पांच वर्षीय आयुर्वेद स्नातक डिग्री बीएएमएस के लिए एमएसई-2020 (मिनिमम स्टैंडर्ड एजुकेशन इन इंडियन मेडिसिन) का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है, जिसके तहत अब बीएएमएस की डिग्री (पढ़ाई) संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी या किसी भी मान्यता प्राप्त रीजनल भाषा में हो सकेगी। जल्द ही इसका गजट नोटिफिकेशन भी होकर आ जाएगा।

आयुर्वेद से जुड़े लोग गजट नोटिफिकेशन के पहले अपना सुझाव भी सीसीआईएम बोर्ड आफ गवर्नर्स को दे सकते हैं। इसे अगले सत्र (2021) से लागू किया जाएगा। मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई शुरू होने से आयुर्वेद की पढ़ाई करने के इच्छुक छात्रों को सहूलियत हो जाएगी। यानी अब आयुर्वेद की डिग्री के लिए पढ़ाई में भाषा आड़े नहीं आएगी। इसकी पुष्टि आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडेय ने की। डॉ. पांडेय की माने तो छात्र मान्यता प्राप्त किसी भी क्षेत्रीय भाषा में अध्ययन-अध्यापन कर सकेंगे। नियम पहले भी था पर क्षेत्रीय भाषा में अनुवाद उपलब्ध नहीं होने के कारण छात्रों की समस्या बनी रहती थी।



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Along with Sanskrit, Hindi, Ayurveda will also be studied in regional language, now examination will be done three times instead of four.


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