संसाधनों की कमी का रोना रो रहे लोगों के सामने झरवा और परताहा के ग्रामीणों ने एक बड़ी मिसाल पेश की है। इन दोनों गांवों के लोगों ने आपसी सहयोग और श्रमदान से मात्र पांच दिन में 110 फीट लंबी चचरी पुल का निर्माण कर दिया। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार इस पुल को बनाने में मात्र 25 हजार रुपए का खर्च आया, जिसे ग्रामीणों ने 100-200 रुपए चंदा कर आपस में जुटाया।
ग्रामीण रघु मुखिया, शिवनारायण यादव, कपिल यादव, मनोज यादव, लखन ठाकुर, ललन कुमार, चंदन कुमार, महेश्वर सहित अन्य ने बताया कि झरवा से परताहा जाने वाली मुख्यमंत्री सड़क को जोड़ने वाली सड़क मध्य विद्यालय परताहा-बरहारा के पास कोसी नदी में अत्यधिक जल वृद्धि के बाद लगभग सौ फीट की लंबाई में टूट गया था।
कोसी में जलवृद्धि के बाद 15 जुलाई को उक्त सड़क ध्वस्त हो गई थी। जिसके बाद झरवा और परताहा गांव में रहने वाले करीब 2500 लोगों दोनों ओर कैद हो गए थे। सड़क ध्वस्त होने और बाढ़ की पानी से घिरे होने के कारण लोगों को आवाजाही में भारी परेशानी हो रही थी। जिसके बाद ग्रामीणों ने आपस में बैठक कर चचरी पुल बनाने का निर्णय लिया।
दोनों गांवों के लोगों का महिषी व मधुबनी का सफर होगा आसान
चचरी पुल बन जाने के बाद लोगों का परताहा घाट से बकुनिया जाने वाली मुख्यमंत्री सड़क पर आने में सहुलियत होगी। यह सड़क महिषी सीमा के बरुआही से मधुबनी सीमा के देवका तक जाने वाली प्रधानमंत्री सड़क को जोड़ती है। ऐसे में झरवा और पतराहा के ग्रामीण महिषी सहित मधुबनी की सीमा तक आसानी से सफर कर सकेंगे।
प्रशासन के भरोसे कैद ही रह जाते ग्रामीण
स्थानीय ग्रामीणों ने कहा कि यदि चचरी पुल का निर्माण नहीं किया जाता तो हमलोगों जबतक दोनों ओर कैद रहते, जब तक उक्त सड़क का निर्माण नहीं किया जाता। बाढ़ और कोरोना से जुझ रहे प्रशासन की नजर इस सड़क पर कब पड़ती कुछ कहा नहीं जा सकता है। ऐसे में हमलोगों ने आपस में चंदा कर चचरी पुल बना दिया। इस पुल के निर्माण के साथ ही ग्रामीणों ने प्रशासन को यह बता दिया कि व्यवस्था के भरोसे कष्ट काटने से बेहतर है, स्थानीय स्तर पर कुछ किया जाए।
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