शहर के एक प्रख्यात फीजिशियन, एक चाइल्ड स्पेशलिस्ट, एक महिला चिकित्सक समेत 54 लाेग काेराेना वायरस की चपेट में आगए हैं। इसके साथ ही जिले में काेराेना संक्रमिताें की संख्या 361 हाे गई है। चर्चा रही कि काेराेना संक्रमित हाेनेवाले डाॅक्टराें की संख्या आधा दर्जन है। उधर, कई और चिकित्सकाें ने बुधवार काे काेराेना जांच के लिए अपना सैंपल दिया। वहीं, काेराेना संक्रमित पाए गए डाॅक्टर के परिवार तथा उनके संपर्क में आए लाेगाें का सैंपल गुरुवार काे लिया जाएगा। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की ओर से देर रात रिपाेर्ट जारी नहीं किए जाने से ऊहापाेह की स्थिति बनी रही। जूरन छपरा स्थित काेराेना संक्रमित शिशु राेग विशेषज्ञ के नर्सिंग हाेम में 40 से अधिक बच्चे भर्ती हैं।
उक्त डाॅक्टर के काेराेना संक्रमित हाेने की सूचना मिलने के बाद से बच्चे के परिजन बेचैन हाे उठे। उधर, पटना एम्स में भर्ती शहर के एक डाॅक्टर की स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है। दूसरी तरफ लंग्स कैंसर से पीड़ित एक महिला की काेराेना की चपेट में आने के बाद एनएमसीएच में माैत हाे गई है।एसकेएमसीएच के अधीक्षक सुनील कुमार शाही ने कहा कि वाॅयराेलाॅजी विभाग की ओर से रिपाेर्ट जारी नहीं की गई है। उधर, सूत्राें से मिली जानकारी के अनुसार, 29 तथा 30 जून काे सैंपल देने वाले करीब 9 लाेगाें की रिपाेर्ट बुधवार की शाम जारी कर दी गई। इन नौ में से अधिकतर डाॅक्टर अथवा पैरा मेडिकल स्टाफ हैं।
सैंपल देने के दस दिन बाद आई 45 लाेगोंरिपाेर्ट
बुधवार काे जिन लाेगाें की रिपाेर्ट पाॅजिटिव अाई उनमें 45 के सैंपल 20 से 23 जून के बीच लिए गए थे। इनकी रिपाेर्ट गुरुवार काे जारी हाेने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी असमंजस में हैं कि उन्हें काेविड केयर सेंटर में भर्ती किया जाए या नहीं। क्याेंकि, प्रावधान के अनुसार, बगैर लक्षण वाले काेराेना संक्रमित काे अधिकतम 10 दिन तक ही काेविड केयर सेंटर में रखा जाना है। अब जबमें 10दिन से अधिक की देरी हाे गई ताे ऐसे में इन्हें अब काेविड केयर भेजा जाय या नहीं इसे लेकर रात तक मंथन हाेता रहा।
डॉक्टरों के संक्रमित होने की सूचना पर एक दूसरे से खैरियत पूछते रहे लोग
बुधवार की शाम शहर के एक जाने-माने फीजिशियन और एक बाल रोग विशेषज्ञ के कोरोना से पीड़ित होने की सूचना मिलते ही शहर में अचानक चर्चा का बाजार गर्म हो गया। लोग एक दूसरे से फोन कर इस सूचना को शेयर करते हुए यह जानने की कोशिश करते रहे कि वे उनके पास तो हाल के दिनों में नहीं गये हैं। बाल रोग विशेषज्ञ के यहां भर्ती बच्चों के परिजनों के यहां ज्यादा चिंता देखी गई। वे बच्चों को यहां से अन्यत्र ले जाने के लिए बेचैन दिखे। वहीं, शहर के कई चिकित्सक भी अपने सहकर्मियों के बीमार होने की सूचना से परेशान थे। डॉक्टरों के इस तरह एक साथ बीमार होने से एक बार फिर से आमलोगों की समस्या बढ़ने वाली है। गौरतलब है कि कोरोना के खौफ से सर्दी-बुखार से पीड़ित सामान्य मरीजों को भी देखने से डॉक्टर कतराते हैं।
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