नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे जोन ने हेड ऑफ जनरेशन (एचओजी) तकनीक के साथ अपनी दो ट्रेनाें का संचालन शुरू कर दिया है। दिल्ली-डिब्रूगढ़ ब्रह्मपुत्र मेल व नई दिल्ली-अगरतला राजधानी स्पेशल न्यू जलपाईगुड़ी तक की यात्रा के लिए एचओजी तकनीक से चलने लगी है। वापसी यात्रा के दौरान भी दोनों ट्रेनाें में इसी तकनीक का प्रयाेग हाे रहा है। इससे एक ट्रेन से सालाना लगभग 7.16 करोड़ रुपये के डीजल की बचत होगी। इनमें ब्रह्मपुत्र मेल भागलपुर रेलखंड होकर चलती है। एनएफआर रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि ब्रह्मपुत्र मेल की डीजल जेनरेटर कार को बंद रखा गया है। एसी, लाइट्स, पंखे और अन्य विद्युत उपकरण अब बिजली से ही चल रहे हैं। इससे डीजल की बचत हाे रही है। नई प्रणाली से मात्र 6 रुपए प्रति यूनिट बिजली का खर्च आ रहा है। जबकि पहले लागत 26 रुपए प्रति यूनिट आता था।
एलएचबी काेच काे नए सिस्टम पर किया गया है डिजायन
अधिकारियाें ने बताया कि नई तकनीक से ट्रेनों के लिए बिजली की लागत को कम करने में मदद करेगी। पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं हाेगा। एचओजी तकनीक से प्रति वर्ष लगभग 1132 किलोलीटर डीजल की बचत हाेगी। एलएचबी कोच को एंड टू जेनरेशन (ईओजी) सिस्टम पर चलाने के लिए डिजाइन किया गया है। जिसमें दो पावर कार हैं व दो डीजी सेट हैं। उन्हें एचओजी तकनीक पर चलाने के लिए तैयार किया जा रहा है।
कार्बन व नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं होगा
अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में उपयोग की जा रही पावर जेनरेटर कार प्रति घंटे लगभग 100 लीटर डीजल की खपत करती है। डीजल जनरेटर भी लगभग 100 डेसिबल शोर हाेता है अाैर 1724.6 टन कार्बन डाइऑक्साइड और प्रति वर्ष 7.48 टन नाइट्रोजन ऑक्साइड हवा में जाता है। नई तकनीक से कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड का शून्य उत्सर्जन होगा।
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