आईजीआईएमएस में स्पर्म क्रायो प्रिजर्वेशन की सुविधा बहाल हो गई है। राज्य में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में स्पर्म प्रिजर्व करके रखने का काम शुरू किया गया है। संस्थान के रिप्रोडक्टिव मेडिसिन विभाग ने इनफर्टिलिटी से पीड़ित दंपतियों की यह सुविधा शुरू की है। साथ ही वैसे लोग स्पर्म प्रिजर्व करा सकते हैं, जो विदेश में रहते हैं और बहुत कम समय के लिए घर आते हैं या फिर किसी को युवावस्था में कैंसर की बीमारी लग गई है। कैंसर की बीमारी में कीमोथेरेपी और रेडिएशन आदि लेने पर स्पर्म खराब होने की आशंका रहती है। वैसे मरीज स्पर्म प्रिजर्व करा सकते हैं।
विदेश में रहनेवाले पार्टनर के लिए सुविधा
इसके अलावा पति विदेश में रहते हैं और पत्नी का इनफर्टिलिटी (बांझपन) का इलाज चल रहा हो। वैसी स्थिति में विदेश से बार-बार आना संभव नहीं होता है। वैसे लोग स्पर्म प्रिजर्व करा सकते हैं और जरूरत के अनुसार इसका इस्तेमाल उनकी पत्नी कर सकती हैं। मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. मनीष मंडल और रिप्रोडक्टिव मेडिसिन विभाग की हेड डॉ. कल्पना सिंह का कहना है कि आईवीएफ तकनीक की पूरी तैयारी कर ली गई है। पर कोरोना संक्रमण काल के वजह से उसकी शुरुआत अभी नहीं की जा रही है। आईवीएफ की सुविधा जल्द संस्थान में इनफर्टिलिटी से पीड़ित दंपती को काफी कम खर्च में मिलने लगेगी।
पुरुष बांझपन का गुरुवार को होता है इलाज
डॉ. कल्पना सिंह का कहना है कि नि:संतान दंपतियों के समुचित इलाज की सुविधा इस विभाग में उपलब्ध है। पुरुष बांझपन के इलाज के लिए प्रत्येक गुरुवार को एंड्रोलॉजी क्लिनिक चलती है। कैंसर से पीड़ित युवा कीमोथेरेपी के पहले अपना स्पर्म क्रायोप्रिजर्व करा सकते हैं और कैंसर के इलाज के बाद बच्चा पैदा कर सकते हैं। इसकी सुविधा अब इस विभाग में हो गई है। इसका खर्च दो हजार रुपए तय किया गया है। डॉ. कल्पना का कहना है कि स्पर्म को 15 से 20 साल तक प्रिजर्व कर रखा जा सकता है। इसके मेंटेनेंस पर हर साल करीब पांच हजार रुपए का खर्च आएगा। संस्थान के निदेशक डॉ. एनआर विश्वास ने इस कार्य के लिए पूरी टीम को बधाई दी है।
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