एक अदीब को हुक्काम यही दे रहे हैं, सलाह। नाम, आदमकद मूर्तियां, समाधि, मकबरे से क्या फायदा? बहरहाल, जिला का एक अकेला प्रखंड सह अंचल मुख्यालय दिघवारा है, जहां शिला है लेकिन शिलालेख नहीं हैं। पता नहीं कब और किन शरारती तत्वों ने खुरच दिया। क्यों खुरच दिया? न कोई प्राथमिकी दर्ज हुई और न फिर से नाम लिखे गए। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857,भारत छोड़ो आंदोलन से लेकर संपूर्ण क्रांति तक दिघवारा की भूमिका अग्रणी रही है।
बिहार के प्रथम शहीद रामदेनी सिंह, दिघवारा के पूरा भारत 1942 में गुलाम था और दिघवारा नौ दिनों तक आजाद रहा। फिर भी कोई नाम नहीं हैं, ब्लाॅक में। न 19 अगस्त 1942 को शहीद हुए वीर नारायण सिंह, हरिनंदन प्रसाद, ठाकुर सीताराम सिंह, ठाकुर यदुनंदन सिंह न सहबीर साह का और न बाबू राम विनोद सिंह, शारदा, सरस्वती, बसंत लाल साह,हीरालाल सर्राफ, लालसा सिंह, रामनंद सिंह सहित अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के।
प्रखंड में भी चरखा, खादी और खादी भंडार अब नहीं रहे
जिला के प्रखंड के बाजारों में खादी भंडार होते थे। घर घर चरखे चलते थे। सूत कताई और खादी भंडार से सूत के एवज कपड़े व नकदी प्राप्त होते थे। अब खादी भंडार सिर्फ जिला मुख्यालय तक सीमित हो चुके हैं। फिर स्वलंबन की बातें तो बेमानी लगती है। बहरहाल, जब हम अपने पूर्वजों से विरासत को नहीं तवज्जो दे पा रहे हैं तो फिर हमारा भविष्य कैसा होगा?
तिरंगा रोहण स्थल के सामने शिलापट्ट लगे कुछ नाम भी अंकित हुए और शरारती तत्वों ने खुरचा
संभवत दिघवारा के शहीदों व स्वतंत्रता सेनानियों के नाम 1984 तक थे। प्रखंड मुख्यालय के नवीनीकरण व कथित विकास का श्रीगणेश 1990 में हुआ। तिरंगा रोहण स्थल के सामने शिलापट्ट लगे कुछ नाम भी अंकित हुए और किसी शरारती तत्वों ने खुरच दिया। आश्चर्य तो यह होता है कि तत्कालीन बीडीओ सह सीओ ने न कोई प्राथमिकी दर्ज करायी न अंचल गार्डों ने किसी किसी को देख। तब से आज तक बीडीओ, सीओ आते रहे, जाते रहे। विभिन्न योजनाओं के तहत राशि व्यय होता रहा लेकिन इस मद में कोई व्यय नहीं हुए। क्योंकि स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के बाद न तो त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का ध्यान जाता है और न पदाधिकारियों का। बस प्रखंड प्रमुख तिरंगा रोहण किए जलेबियां बंटी और फिर चलते बने। 2004 में बीडीओ डॉक्टर नरेश कुमार यादव से लेकर वर्तमान बीडीओ शशि प्रिय वर्मा यही दलील देते रहे कि रिकार्ड ही नहीं है। बहरहाल, यह क्या दर्शाता है? इसका उत्तर कौन दे।
दलीय राजनीति से हट पूर्व विधायक ने दिया सम्मान
2000-05 तक सोनपुर विधायक रहे विनय ने दिघवारा में एनएच 19 से सटे रेलवे समपार संख्या 16 के निकट स्वतंत्रता सेनानी बाबू राम विनोद सिंह, नयागांव रेलवे स्टेशन परिसर में शहीद राजेंद्र प्रसाद सिंह व सोनपुर बाइपास में स्वतंत्रता सेनानी कॉमरेड शिववचन सिंह की प्रतिमा ऐच्छिक कोष से निर्मित करायी लेकिन ये प्रतिमाएं उपेक्षित हैं। राजेन्द्र प्रसाद सिंह की प्रतिमा के पास मछली हाट लगता है,तो बाबू रामविनोद सिंह की प्रतिमा भी बदतर स्थिति में है जैसे गांधी कुटीर है।
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