याैम-ए-आशूरा 30 अगस्त यानी रविवार काे है। काेराेना की वजह से इस बार कहीं से काेई अखाड़ा और जुलूस नहीं निकलेगा। न ही जंजीरी मातम हाेगा और न ही जुलजिनाह या अलम का जुलूस निकलेगा। पटना समेत बिहार में कहीं भी ताजिया या सिपहर जुलूस नहीं निकलेगा। वैसे घराें में लाेग साेशल डिस्टेंसिंग बनाकर मैदान ए कर्बला में शहीद हुए हजरत इमाम हुसैन व उनके 71 अनुयायी काे याद करने के लिए मर्सिया पढ़ रहे हैं। उनकी शहादत काे याद किया जा रहा है। हर अखाड़े के चंद लाेग फूल व सेहरा आदि ले जाकर कर्बला जाएंगे और इसे दफन कर देंगे।
इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम है। चांद हाेने के बाद से नया साल 1442 हिजरी शुरू हाे चुका है। शुक्रवार काे पहले माह की आठवीं तारीख है। इसी महीने में कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन व उनके 71 अनुयायी शहीद हुए थे। इसलिए यह गम का महीना है। वैसे इस माह में कई अहम वाकये हुए हैं जाे इस्लामिक नजरिये से बहुत ही अहम हैं। इसी माह में इस्लामिक कैलेंडर के सन हिजरी की शुरुआत हुई।
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