कभी-कभी बहुत छोटी-छोटी बातें भी जीवन को बहुत प्रभावित करतीं हैं। जब से जेईई-एडवांस परीक्षा की तिथि की घोषणा हुई है, बहुत से विद्यार्थियों के साथ तैयारी के सिलसिले में डिस्कशन होता रहता है। इसी दौरान आज मुझे अपना एक पुराना स्टूडेंट दिव्यांशु झा भी याद आ गया। अभी दिव्यांशु झारखण्ड में आईएएस अधिकारी है। अपनी मेहनत और कार्यशैली की वजह से वह हमेशा चर्चा में रहता है।
बात 2006 की है जब आईआईटी का रिजल्ट आया था। हम लोगों की खुशियों का ठिकाना नहीं था। पहली बार मेरे किसी विद्यार्थी की इतनी अच्छी रैंक आई थी। दिव्यांशु की ऑल इंडिया रैंक 10 थी लेकिन, जब कुछ दिनों के बाद उससे बातचीत हो रही थी तब दिव्यांशु ने बताया कि उसे थोड़ा अफसोस भी है। मेरे पूछने पर उसने बताया कि मैथेमैटिक्स का एक बहुत ही आसान सवाल उससे छूट गया है।
वह सवाल मैट्रिक्स टॉपिक से कॉम्प्रिहेंशन के फॉर्मेट में था। जिसके लिए काफी मार्क्स दिए जा रहे थे। जब मैंने पूछा कि आखिर इतना आसान सवाल उससे छूटा कैसे, तब उसने बताया कि उसने मैट्रिक्स का रिविजन ही नहीं किया था। रिविजन नहीं होने से फाॅर्मूला ही भूल गया।
उसके बाद मैंने सोचा कि अगर दिव्यांशु मैट्रिक्स का भी रिविजन कर लेता तो शायद उसकी रैंक और भी ऐतिहासिक होती। इस घटना से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। उसके बाद मैंने अपने सभी विद्यार्थियों के सामने इस घटना का जिक्र करते हुए आईआईटी एडवांस के पूरे सिलेबस को रिवाइज करने की सलाह देना शुरू कर दिया।
अक्सर विद्यार्थी मुझसे पूछते हैं कि क्या उन्हें मैट्रिक्स, वेक्टर और थ्री-डी जैसे चैप्टर को छोड़ देना चाहिए। क्योंकि इन टॉपिक्स को तैयार करने के लिए बहुत फॉर्मूले याद करने पड़ते हैं। दरअसल इस तरह के चैप्टर्स को तैयार करना और भी आसान होता है, जिसमें ज्यादा फॉर्मूले होते हैं। कठिनाई तो वहां होती है जिस टॉपिक में आपके पास दो-चार ही फॉर्मूले हों।
फिर सीमित फाॅर्मूलों के आधार पर ही आपको कठिन सवाल हल करने होते हैं। ऐसे टॉपिक से पूछे गए सवालों के जवाब खोजने में खूब दिमाग और समय की जरूरत होती है। मान लीजिए कि आपको सीमित समय में ऐसे टॉपिक को तैयार करना है जिसमें बहुत फॉर्मूले और शार्टकट रिजल्ट हैं। सबसे पहले तो आपको उस टॉपिक को बहुत ही अच्छे तरीके से विस्तार में जाकर पढ़ना चाहिए। फाॅर्मूला को बगैर उत्पत्ति समझे आगे बढ़ना, रटने जैसा हो जाता है।
जहां आप रटने लग गए, समझ लीजिए की आप पर दबाव बन गया। फिर बहुत जल्दी ही सबकुछ भूलने भी लगेंगे। इसलिए किसी भी टॉपिक को गहरे में जाकर समझें और फिर उस पर आधारित ज्यादा से ज्यादा सवालों को हल करने का प्रयास करें। आप जितना फॉर्मूले को उपयोग में लाएंगे। आपको फार्मूला उतना याद होता जाएगा। इसी तरह का टॉपिक इंटीग्रल कैलकुलस भी है। इसमें भी बहुत फॉर्मूले होते हैं।
अगर आप केमिस्ट्री की बात करें तब ऐसे ही कुछ चैप्टर्स इनॉर्गेनिक केमिस्ट्री में भी मिलेंगे। फिजिक्स में भी हीट, थर्मोडायनामिक्स और मॉडर्न फिजिक्स के कुछ ऐसे ही टॉपिक हैं। याद रखें कि ऐसे टॉपिक कभी नहीं छोड़ने चहिए। इससे पूछे जाने वाले सवाल अक्सर आसान होते हैं। आप बहुत ही कम समय में इस तरह के टॉपिक को तैयार कर सकते हैं।
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