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पहले श्रेणी फिर विषयवार कटऑफ को पार करने की बनाएं रणनीति https://ift.tt/3iMpGNH

क्षेत्र चाहे कोई भी हो, बैगर रणनीति बनाए सफलता नहीं मिल सकती है। प्रत्येक लक्ष्य के लिए एक अलग रणनीति की आवश्यकता होती है। यहां तक की अगल-अलग परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने के लिए एक ही तरह की रणनीति कारगर सिद्ध नहीं होती है। जैसी परीक्षा उसी के अनुसार रणनीति।

अब अगर हम आईआईटी की बात करें तब जेईई मेन और एडवांस की रणनीति भी एक-दूसरे से अलग होती है। जेईई मेन की परीक्षा में एक्यूरेसी के साथ-साथ स्पीड का भी ध्यान रखना आवश्यक होता है। वहीं जेईई एडवांस में स्पीड से ज्यादा एक्यूरेसी महत्वपूर्ण है।
ज्यादातर विद्यार्थी एक गलती सबसे ज्यादा करते हैं। प्रश्नपत्र सामने आते ही उनका प्रयास होता है कि दिए हुए समय में सब सवालों को हल कर दें लेकिन, सामान्य तौर पर ऐसा संभव नहीं होता है। प्रत्येक विद्यार्थी का पहला लक्ष्य यह होना चाहिए कि उसे सबसे पहले कट-ऑफ पार करना है।

पिछले कुछ वर्षों से आईआईटी ने सामान्य श्रेणी के विद्यार्थियों के लिए 35%, ओबीसी के लिए 31.5% और एससी, एसटी तथा विकलांग श्रेणी के विद्यार्थियों के लिए 12.5 % कट-ऑफ रखा है। अर्थात अगर आपके मार्क्स दिए गए प्रतिशत के अनुसार आते हैं तब कहीं न कहीं आपका एडमिशन तय है लेकिन, आश्चर्य की बात तो यह है कि ज्यादातर कट-ऑफ इससे काफी कम होता है।

अब अगर हम 2016 की बात करें तब सामान्य श्रेणी के विद्यार्थियों के लिए 20%, ओबीसी के लिए 18% और एससी, एसटी तथा विकलांग श्रेणी के विद्यार्थियों के लिए मात्र 10% ही कट-ऑफ था। इसी तरह से प्रत्येक विषय के लिए भी हर साल एक खास कट-ऑफ होता है।

मेरिट लिस्ट में नाम आ जाए इसके लिए प्रत्येक विषय में सामान्य श्रेणी के विद्यार्थियों के लिए 10%, ओबीसी के लिए 9% और एससी, एसटी तथा विकलांग श्रेणी के विद्यार्थियों के लिए 5% मार्क्स की ही जरूरत होती है।
अब इस कट-ऑफ को ध्यान में रखकर जेईई एडवांस के लिए आपको एक अलग रणनीति तैयार करनी होगी। सबसे पहले पूरे प्रश्नों को अच्छे से पढ़ना होगा। फिर उसके बाद आपका पहला प्रयास यह होना चाहिए कि आप प्रत्येक विषय के कम से कम 10% सवालों को हल करके सबजेक्ट-वाइज कट-ऑफ के मामले में निश्चिंत हो जाएं।

अब आपको यह भरोसा हो जाएगा कि आप किसी सब्जेक्ट में खराब परफॉर्मेंस की वजह से असफल नहीं हो रहें हैं। इससे आपका कॉन्फिडेंस थोड़ा जरूर बढ़ेगा। उसके बाद आप एक बार फिर से पूरे प्रश्नों को ध्यान से पढ़ें। फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथेमैटिक्स में, जिस भी विषय में आपकी सहूलियत हो उसके सवाल पहले हल करें। फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ें।

अब आपका अगला लक्ष्य यह होना चाहिए कि पूरे सवालों में से उतने सवाल जरूर हल करें जितना आपकी श्रेणी का कट-ऑफ है। जैसे ही आप कट-ऑफ को पार कर लेगें आपका कॉन्फिडेंस बढ़ जाएगा। अब आपको यकीन होने लगता है कि आपका नाम किसी न किसी रैंक के साथ आईआईटी की मेरिट लिस्ट में जरूर आने वाला है।

अब आपकी बारी अच्छी रैंक के लिए प्रयास करने की है। अब तीसरी बार में बचे हुए प्रश्नों को बहुत ही गंभीरता के साथ ध्यान से समझते हुए पढ़ने का प्रयास करें। ज्यादा से ज्यादा सवालों का जवाब देने की कोशिश जारी रखें। और हां, अंत में कुछ समय जरूर बचा कर रखें।

कुछ और सवालों का जवाब ढूढने से अच्छा है कि बचे हुए समय में एक बार अपने पूरे जवाब को चेक कर लें। इसके बहुत फायदे होते हैं। कम से कम आप नेगेटिव मार्किंग से तो बच जाएंगें। मैं सुपर 30 के बच्चों के साथ किए हुए अनुभव के आधार पर आपको बता सकता हूं कि यह रणनीति आपके लिए कारगर सिद्ध होगी।



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