Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

जिस पीयू में पढ़ाई की, फिर शिक्षक रहे, अब उसी के वीसी बने प्रो. जीके चौधरी https://ift.tt/3mC36tx

कभी पटना विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षक रहे प्रो. जीके चौधरी अब इसके कुलपति बने हैं। 1985 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले प्रो. जीके चौधरी, तब पूरे विवि में डिस्टिंक्शन प्राप्त करने के साथ पहले स्थान पर आए थे। 1985 में ही आईईएस की परीक्षा में पास होने के बाद वीएसएनएल में असिस्टेंट इंजीनियर के तौर पर जुड़ गए।

तीन साल बाद ही वापस पटना विवि के बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में बतौर शिक्षक ज्वाइन कर लिया। यहीं पढ़ाते हुए प्रो. चौधरी ने 1998 में पीयू से ही पीएचडी पूरी की। 2005 में बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के एनआईटी पटना में बदलने के बाद 2006 में डॉ. चौधरी प्रोफेसर बन गए।

दो साल पहले मगध विवि से अलग होकर बने पाटलिपुत्र विवि में प्रतिकुलपति नियुक्त किए गए प्रो. चौधरी को शनिवार को पटना विवि का कुलपति नियुक्त किया गया। प्रो. चौधरी पीयू के 53वें और इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के पहले कुलपति हैं।
नए कुलपति के तौर पर नियुक्त होने के बाद उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों, शिक्षकों के संयुक्त एकेडमिक और रिसर्च कार्यों के लिए होते हैं लेकिन मौजूदा परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं। डिजिटल मोड को सभी संस्थानों को अपनाना होगा। संस्थान से जुड़े हर व्यक्ति को डिजिटल फ्रेंडली होना होगा, तभी ऐसी चुनौतियों से जीतना सम्भव होगा।
शाेध कार्य पर हाेगा जाेर
प्रो. चौधरी ने बताया कि पटना विवि में कोशिश यही रहेगी कि यहां अधिक से अधिक शोध हों। छात्रों के साथ शिक्षक भी शोध में संलग्न रहें। नैक ग्रेडिंग के मानदंडों में सुधार के साथ एनआईआरएफ में बेहतर स्थान दिलाना भी प्राथमिकता में होगा।

विश्वविद्यालय की गरिमा लौटाना है प्राथमिकता
नियुक्ति के बाद प्रो. चौधरी ने कहा कि मेरे एकेडमिक जीवन के साथ मेरे कॅरियर का बड़ा हिस्सा पटना विवि से ही जुड़ा रहा है। मेरी प्राथमिकता यही होगी कि इसकी गरिमा वापस लौटे। यह विवि सौ साल से अधिक पुराना है और शैक्षणिक संस्थानों की उम्र बढ़ने पर उनकी जड़ें और मजबूत होती जाती हैं।

वीसी के तौर पर चुनौतियां

  • पीयू में शिक्षकों का अभाव लगातार रहा है। बीपीएससी ने पिछले छह साल की नियुक्ति प्रक्रिया में जितने शिक्षक नियुक्त नहीं किए, उससे अधिक पुराने शिक्षक सेवानिवृत्त हो गए। ऐसे में अनुभवी शिक्षकों की कमी से जूझते विश्वविद्यालय को आगे ले जाना है।
  • शताब्दी वर्ष मना चुके पटना विवि को नैक में ग्रेडिंग उत्कृष्ट नहीं मिली, जबकि एनआईआरएफ रैंकिंग के लिए तो अब तक आवेदन भी नहीं हुआ है।
  • यूजी के ट्रेडिशनल कोर्सेज में सीबीसीएस लागू करना है।
  • वर्षों से विवि में नए कोर्स शुरू नहीं हो पाए हैं। यूजी-पीजी में नए कोर्स की कमी के कारण नैक की ग्रेडिंग पर असर पड़ा है। शोध की कमी का असर भी ग्रेडिंग पर पड़ा है।


Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
The PU in which he studied, then became a teacher, now became VC of the same. GK Chaudhary


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3mytW5Q

Post a Comment

0 Comments