यूरोपीय यूनियन 1 अक्टूबर से मॉरीशस के साथ 22 देशों को ब्लैकलिस्ट करने जा रहा है। आरोप है कि इन देशों से ब्लैक मनी और आतंकी गतिविधियों की फंडिंग जोरों पर है। भारत में आनेवाली एफडीआई में पिछले साल म़ॉरीशस दूसरे नंबर पर रहा था, वह भी तब जब मॉरीशस की जीडीपी दुनिया में 123 वें नंबर पर है।
भारत की चिंता इस पर नहीं
भारत इस बात पर बिल्कुल चिंता नहीं कर रहा है। इसके जरिए भारतीय अर्थव्यवस्था में ब्लैक मनी आ रही है। यह एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है। इसके उलट भारत का ज्यादा ध्यान केवल पाकिस्तान पर है जहां से भारत का कोई व्यापार नही है। पाकिस्तान को भी एफएटीएफ ब्लैक लिस्ट करने की तैयारी कर रही है।
मॉरीशस से भारत में 8.24 अरब डॉलर की एफडीआई आई
आंकड़ों के मुताबिक भारत में आने वाली एफडीआई के मामले में सिंगापुर टॉप पर है। मॉरीशस दूसरे नंबर पर आता है। वित्त वर्ष 2019-20 में सिंगापुर से 14.67 अरब डॉलर की एफडीआईआई जबकि दूसरे नंबर पर मॉरीशस है जहां से 8.24 अरब डॉलर की राशि आई है। भारत में इसी तरह केदेशों की ज्यादा एफडीआई आती है। केमन आईसलैंडसे 3.7 अरब डॉलर, नीदरलैंड से 6.5 अरब डॉलर कीएफडीआई आई है।
एफडीआई से क्यों भारत को दिक्कत है?
जानकारों के मुताबिक भारत में मॉरीशस की मुखौटा कंपनियों के जरिए फंड आता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां टैक्स बचाया जाता है। यह एक तरह से राउंड ट्रिपिंग है। इसके लिए हवाला और दूसरे चैनलों का उपयोग किया जाता है। मल्टी लेयर टैक्स हैवेन बैंक के जरिए भारत में पैसा लाया जाता है। दरअसल भारत से ही कंपनियां किसी न किसी जरिए दूसरे देशों में पैसे भेजती हैं, फिर वहां से यह पैसा मॉरीशस आता है और वहां से एफडीआई के रूप में भारत में वापस आ जाता है। इसे राउंड ट्रिपिंग कहते हैं।
मॉरीशस खुद दक्षिण अफ्रीका पर निर्भर है
जानकार कहते हैं कि मॉरीशस में इतना पैसा नहीं होता है। यहां कोई निवेशक भी नहीं है। मॉरीशस दक्षिण अफ्रीका पर निर्भर है। ऐसे में वह कैसे भारत को सपोर्ट कर सकता है? जहां न तो इंडस्ट्री है, न टेलीकॉम है, न तो टेक्सटाइल्स है। मॉरीशस की जीडीपी 2019 में 1,439 करोड़ डॉलर रही है। जीडीपी के लिहाज से यह दुनिया में 123 वें नंबर पर है। पिछले दो सालों से यूरोपीय यूनियन ने एफएटीएफ की 58 सिफारिशों में से 53 पर अमल किया है।
मॉरीशस में काफी अवैध काम होते हैं
मॉरीशस में अवैध पैसे को वैध बनाने में मुख्य रूप से ड्रग ट्रैफिकिंग (हेरोइन और अन्य ड्रग) के साथ पोंजी स्कीम्स, फोर्जरी और भ्रष्टाचार का समावेश है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यहां बैंकों में भी मनी लांड्रिंग होती है। मॉरीशस विदेशी निवेश के रूट के लिए एशिया में एक पसंदीदा स्थान है। उधर खबर यह भी है कि भारत सिंगापुर से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की स्क्रूटिनी को और सख्त करने वाला है क्योंकि इसे आशंका है कि मालामाल चीनी कंपनियां अब सीमावर्ती देशों के रास्ते यहां एंट्री करने की कोशिशें कर सकती हैं।
सेबी ने बढ़ाई निगरानी?
इसी साल फरवरी में जब मॉरीशस को यूरोपीय यूनियन ने ब्लैक लिस्ट की बात कही तो बाजार रेगुलेटर सेबी ने एक सर्कुलर जारी किया। उसने कहा कि मॉरीशस से आनेवाला पैसा अथेंटिक है। उस पर हम कोई प्रतिबंध नहीं लगाएंगे। हालांकि सेबी ने कहा कि वह इस पर निगरानी बढ़ा देगी। पाकिस्तान से पहले से ही मॉरीशस ग्रे लिस्ट में है। मॉरीशस के अलावा 17 अन्य देश जिसमें पनामा, बार्बाडोस, बोत्सवाना, कंबोडिया, घाना, जमैका, मंगोलिया, म्यामार और जिंबाब्वे भी एक अक्टूबर से ब्लैक लिस्ट हो जाएंगे। अभी ये सारे ग्रे लिस्ट में हैं।
यूरोपीय यूनियन ने 22 देशों को ब्लैक लिस्ट करने फैसला लिया है
बता दें कि 7 मई को यूरोपीय यूनियन कमीशन ने मॉरीशस के साथ 22 देशों को ब्लैक लिस्ट में डालने का फैसला किया था। इन सभी देशों से यूरोपीय यूनियन की वित्तीय व्यवस्था को खतरा है। अगर एक अक्टूबर को ऐसा होता है तो इससे न केवल मॉरीशस की प्रतिष्ठा पर आंच आएगी, बल्कि इसका वित्तीय सिस्टम भी बिगड़ जाएगा। मॉरीशस के फाइनेंशियल सर्विसेस के मंत्री महेन सीरुत्तुन ने कहा कि यह सही है कि यूरोपीय यूनियन ब्लैक लिस्ट करने जा रहा है। इस प्रक्रिया में काफी सारी गलतियां की जा रही हैं।
यूरोपीय यूनियन में 27 देश हैं
ब्लैक लिस्ट का मतलब यह है कि अब मॉरीशस से कोई भी बिजनेस या एफपीआई के पैसे को यूरोपीय यूनियन नहीं स्वीकारेगा। यूरोपीय यूनियन में कुल 27 सदस्य देश हैं। यूरोपीय यूनियन यह कदम ऐसे समय में उठा रहा है जब छोटा सा देश मॉरीशस कोविड-19 के बाद अपनी अर्थव्यवस्था को रीस्टोर करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
दूसरे देशों की ओर जा सकते हैं निवेशक
मॉरीशस को ब्लैक लिस्ट में डालने के बाद यहां के निवेशक दूसरे देशों की ओर जा सकते हैं। साथ ही यहां बैंकों में जमा डिपॉजिट भी निकलनी शुरू हो जाएगी और इससे मुद्रा और महंगाई में बढ़त होने लगेगी। एफएटीएफ के कुल 39 देश सदस्य हैं। यूरोपीय यूनियन की ब्लैक लिस्ट में होने के नाते पूरी अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। इस घटना से प्राइवेट इक्विटी फंड मॉरीशस के माध्यम से निवेश करने के लिए कम तैयार होंगे।
मॉरीशस के प्रधानमंत्री की कोशिश नाकाम
मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनौथ ने भी जून में यूरोपीय काउंसिल के प्रेसीडेंट चार्ल्स मिशेल को कॉल किया था। हालांकि इसमें थोड़ा विवाद है। कुछ समय पहले ही यूरोपीय यूनियन ने सउदी अरबिया को ब्लैक लिस्ट से बाहर कर दिया था। इसके पीछे कारण यह था कि सउदी अरबिया यूरोपियन देशों से हथियारों की खरीदी करता है। एफएटीएफ वैश्विक स्तर की मनी लांड्रिंग और आतंकी गतिविधियों को पैसा देने पर नजर रखनेवाली रेगुलेटर है। एफएटीएफ दो लिस्ट बनाता है। एक ब्लैक लिस्ट और एक ग्रे लिस्ट होती है।
मॉरीशस में भी कई देश जमकर करते हैं निवेश
यूएनसीटीएडी की विश्व निवेश रिपोर्ट 2020 के अनुसार, मॉरीशस में एफडीआई निवेश 472 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष के 372 अमरीकी डॉलर से ऊपर है। 2019 में एफडीआई का कुल स्टॉक 5.8 अरब डॉलर था। मुख्य निवेशक संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, यूनाइटेड किंगडम, केमैन आइलैंड और हांगकांग हैं।
मॉरीशस का टूरिज्म सेक्टर ज्यादा आकर्षक
मॉरीशस में पर्यटन क्षेत्र अधिकांश रूप से एफडीआई के लिए पसंदीदा है। खासकर रिसॉर्ट स्कीम ज्यादा आकर्षित निवेशकों को करती है। रिसॉर्ट क्षेत्रों में लक्जरी विला, गोल्फ कोर्स और अन्य सुविधाओं के निर्माण से संबंधित प्रॉपर्टी में निवेश होता है। अधिकांश एफडीआई को आकर्षित करने वाले अन्य क्षेत्र वित्तीय और बीमा सेवाएं और कंस्ट्रक्शन हैं।
मॉरीशस के बैंक द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, मॉरीशस में एफडीआई प्रवाह में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 20% की वृद्धि हुई है। इसमें रियल एस्टेट क्षेत्र सबसे अधिक निवेश आकर्षित करता है।
मॉरीशस 190 देशों में कारोबारी माहौल के मामले में 13 वां सबसे बेहतर देश
विश्व बैंक द्वारा जारी 2020 डूइंग बिजनेस रैंकिंग के मुताबिक, मॉरीशस दुनिया के 190 देशों में से कारोबारी माहौल के मामले में 13वां सबसे अनुकूल देश है जो पिछले साल की तुलना में सात पायदान ऊपर है। हेरिटेज फाउंडेशन ने अपने 2020 इकॉनोनिक फ्रीडम रैंकिंग में मॉरीशस को दुनिया भर में 25वें स्थान पर रखा है।
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