ठेकेदार बंधुओं ललन कुमार और सुमन कुमार के यहां शुक्रवार काे दूसरे दिन भी इनकम टैक्स विभाग की छापेमारी जारी रही। उनके यहां अब तक 82 लाख रुपए नकद बरामद किये जा चुके हैं। छापेमारी दल ने दोनों भाइयों की पत्नी और उनके अन्य परिजनों के नाम से खरीदी गई लाखों रुपए की ज्वेलरी का वाउचर मांगा तो चुप्पी साध ली।
अधिकारियों ने दोनों भाइयों के पलंग, अलमीरा और रसोई की जांच की। जिसमें दीवान पलंग के बॉक्स में दो-दो हजार रुपए का बंडल प्लास्टिक में रखा मिला। इतनी बड़ी रकम घर में रखे जाने के औचित्य पर सवाल पूछा गया तो ठेकेदार बंधुओं ने कहा कि उन्होंने जमीन बिक्री के लिए कुछ खरीदारों से कैश लिया था। लेकिन चुनाव को लेकर वे कैश बैंक में जमा नहीं करवा सके। मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना की ठेकेदारी को लेकर पूछे गए कई सवालों के जवाब में ठेकेदार ने चुप्पी साध ली है।
दो साल पहले 4.50 करोड़ में खरीदी थी बिल्डिंग, रिटर्न में दिखाया 1.50 करोड़
जांच के दौरान ठेकेदार बंधुओं की बड़ी गलती विभाग के हाथ लगी। एनसीसी कैंटीन के पीछे सेंट टेरेसा स्कूल वाली गली में जिस उड़ान इंस्टीच्यूट एकेडमी वाली बिल्डिंग की खरीद 2017-18 में 4.50 करोड़ में की थी। उसके बारे में रिटर्न में मात्र 1.50 करोड़ रुपए बताई गई। यही नहीं रिटर्न में कैश इन हैंड 30 लाख बताई गई थी। फिर 4.50 करोड़ रुपए कहां से आए? विभाग ने कहा कि पांच साल पहले तो आयकर दाता नहीं थे।
यानी उस वक्त आपकी आमदनी टैक्स के दायरे के लायक नहीं थी, फिर अचानक तीन-चार साल में इतना पैसा कहां से आया? इस सवाल पर दोनों भाइयों ने चुप्पी साध ली। हालांकि विभाग को ठेकेदार बंधुओं के दूसरे जिले व राज्यों में किए गए निवेश का ब्योरा नहीं मिला है। लेकिन शक है कि करोड़ों रुपए दूसरे राज्यों में भी खपाई गई है। मोबाइल नंबर में दर्ज रिश्तेदारों, दोस्तों के नाम लिए गए हैं ताकि उनके भी पैन व आधार नंबर से निवेश का डिटेल मिल सके।
ईडी को भी दी गई है जानकारी मनी लांड्रिंग का शक
आयकर अधिकारियों ने बताया कि जिस तरह से ठेकेदार के यहां कैश व करोड़ों रुपए के निवेश के सबूत मिले हैं। उससे ऐसा लगता है कि पांच साल के अंदर ठेकेदार बंधुओं ने जमकर कमाई की है और काफी संपत्ति अर्जित की है। मामले की जानकारी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी दी गई है।
जल्द ही ईडी भी ठेकेदार बंधुओं के खिलाफ जांच के लिए भागलपुर आएगी और संपत्ति का आकलन करेगी। इधर, सूत्राें ने बताया कि यदि ईडी ने कार्रवाई की तो ठेकेदार बंधुओं की संपत्ति जब्त भी हो सकती है। क्योंकि यह मामला धीरे-धीरे मनी लांड्रिंग की ओर बढ़ता जा रहा है।
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