जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की जन्मभूमि बासोकुंड में करीब 2600 वर्ष बाद मुनि संघ ने चतुर्मास व्यतीत किया। विश्व शांति की मंगलकामना के साथ संवेद-शिखर (पारसनाथ) के लिए बुधवार काे विहार किए। छह माह से चतुर्मास व्यतीत कर रहे श्री श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज के साथ 24 दिगम्बर जैन मुनि जैन मंदिर परिसर में तप-साधना के क्रम में चतुर्मास व्यतीत कर रहे थे। विहार से पहले मुनि संघ ने जैन मंदिर के गर्भगृह में विशेष पूजा-अर्चना की।
विदाई की वेला में जैन धर्मावलंबियों द्वारा सभी दिगम्बर जैन मुनि की आरती की गई। तत्पश्चात स्थानीय जनमानस को मुनिश्री ने मंगल आशीष दिया। पारसनाथ तक विहार के क्रम में मुनि संघ गुरुवार काे अपने भक्तों के साथ मवि रेवा में रुकेंगे। रेवाघाट पुल के रास्ते पारसनाथ (आरा) 3-4 दिनों में विहार करते पहुंचेंगे।
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