राजद नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि बिहार की बदहाली के लिए नीतीश जी जिम्मेदार हैं और यह बात पूरा बिहार जानता है। जनता इस बार बदलाव के मूड में है और हम यानी महागठबंधन स्पष्ट रूप से सरकार बनाने जा रहे हैं। 10 लाख नौकरियां देना संभव कैसे होगा...इस पर तेजस्वी ने मुस्कुराते हुए कहा..कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो। तेजस्वी ने विकास, रोजगार समेत तमाम मुद्दों पर भास्कर के इंद्रभूषण से बात की।
राज्य में हंग असेंबली होने पर आप बीजेपी के साथ जाना पसंद करेंगे या जदयू के साथ?
-बिहार में बदलाव की हवा साफ़ है और मैं समझता हूं कि इस बात से ग्राउंड रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार बंधु भी इत्तफाक रखते होंगे। महागठबंधन के पक्ष में पूरा बिहार एकजुट है और हम स्पष्ट और ऐतिहासिक बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं। हम नीति, विचार और सिद्धांत आधारित राजनीति करते हैं जो भाजपा की नीति और सिद्धांत के पूर्णत: विपरीत है। हमारी राजनीति कुर्सी की राजनीति नहीं है।
नीतीश कुमार आपके निशाने पर रहते हैं, भाजपा पर आप उतना हमला नहीं करते क्यों?
नीतीश जी पंद्रह साल से मुख्यमंत्री हैं और फिर एनडीए के सीएम उम्मीदवार हैं। बिहार के प्रति उनकी जवाबदेही स्वाभाविक है। बिहार की बदहाली के लिए नीतीश जी ही जिम्मेदार हैं। भाजपा की जन-विरोधी और संविधान विरोधी नीतियों का हम विरोध करते आए हैं। कुछ दिनों पहले ही केंद्र सरकार के किसान विरोधी कानून के खिलाफ आंदोलन किए थे। चाहे भाजपा हो या नीतीश कुमार हम व्यक्तिगत आलोचना कभी नहीं करते बल्कि उनकी जन-विरोधी और दमनकारी नीतियों का विरोध करते हैं।
आप अपने पापा के ही रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं? क्या उनसे अपना कद ऊंचा करना चाहते हैं?
नहीं... कतई नहीं। कोरोना का संकट है। एक दिन में 19 सभाएं तक करनी पड़ रही हैं। सहयोगियों के क्षेत्र में भी जा रहा हूं। बछवाड़ा नहीं जा सका तो आजतक कम्प्लेन है। मैंने प्रत्याशी से क्षमा मांगी है।
जगंलराज और लकड़सुंघवा सरीखे हमलों को आप डिफेंड नहीं कर पा रहे हैं?
सरकार में 15 साल से वही लोग हैं जो यह सब बोल रहे हैं। 30-30 घोटाले हुए। क्या वह जंगलराज नहीं है? मेरे लिए यह मुद्दा ही नहीं है। मेरे लिए आज का युवा, सिंचाई, दवाई,पढ़ाई, कमाई मुद्दा है। बिहार का भविष्य मुद्दा है। हम पीछे नहीं आगे देखने वाले लोग हैं।
पहली कैबिनेट में ही 10 लाख सरकारी नौकरी, हकीकत में संभव है क्या?
मैं बस इतना ही कहूंगा...कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो। 10 लाख नौकरी व्यावहारिक और संभव है बस ज़रूरत है नीयत और इच्छाशक्ति की। इसका क्रियान्वयन पहली कैबिनेट से होगा। 4.5 लाख रिक्तियां पहले से हैं और 5.5 लाख नए पदों के सृजन की आवश्यकता है। ब्लू प्रिंट तैयार है।
समयबद्ध बहाली और नियुक्ति प्रक्रिया तय है। नीतीश जी क्यों नहीं बताते कि उन्होंने लाखों रिक्तियां क्यों नहीं भरीं? जब मैं भरने की बात कर रहा हूं तो उनकी नींद टूट रही है। नीतीश जी के कार्यकाल में 30 हजार करोड़ के 60 घोटाले हुए हैं। जिन्हें सरकार ने स्वयं स्वीकारा है।
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