भगवान बुद्ध के शिष्य सारिपुत्र के परिनिर्वाण दिवस पर नव नालन्दा महाविहार के द्वारा विश्वविद्यालय सभागार में सारिपुत्र के जीवन एवं बौद्ध धर्म के विकास में उनके योगदान पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गिरियक के घोड़ाकटोरा तक शांति पद यात्रा भी इसका आयोजन इंटरनेशनल बौद्धिस्ट कॉन्फ़िगरेशन ,नव नालंदा महाविहार तथा महाबोधि प्रबंधन बोधगया द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत बौद्ध भिक्षुओं के मंगल पाठ से हुई। मुख्य अतिथि के रूप में इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कॉन्फेडरेशन के जेनरल सेक्रेटरी बी लामा जोबजंग उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि सारिपुत्र भगवान बुद्ध के परम शिष्य थे। इनकी पूजा विश्व के सभी बौद्ध देशों में की जाती है। कार्यक्रम का मुख्यउद्देश्य विश्व में शांति स्थापित करने साथ साथ सारिपुत्र के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करना भी है। इसके माध्यम से सारिपुत्र के जन्मस्थली की खोज भी की जाएगी।
जन्मस्थल नालन्दा होने की मान्यता
उन्होंने कहा कि सारे बौद्ध जगत का मानना है कि सारिपुत्र की जन्मस्थली नालंदा जिले के राजगीर के समीप है। बिहार कार्तिक पूर्णिमा को सारिपुत्र दिवस के रूप में घोषित किया है।उन्होंने कहा कि सारिपुत्र के सम्मान में भारत सरकार , श्रीलंका ,थाईलैंड सहित अन्य बौद्ध देशों में भी कार्तिक पूर्णिमा को सारिपुत्र दिवस के रूप में आयोजन हो ।इसकी कोशिश की जाएगी।
इस अवसर पर अनुमंडल कल्याण पदाधिकारी राजीव रंजन कुमार , पूर्व विधायक चंद्रसेन , बीटीएमसी नंजगे डोरजी, आरएस नेहरा, एसपी सिन्हा, जिला भू अर्जन पदाधिकारी सुबोध कुमार ,अमेरिका से आये वांग मो डिक्सी आदि उपस्थित थे। पद यात्रा के दौरान महाविहार परिवार के सदस्यों द्वारा पर्यावरण की शुद्धि के लिए औषधीय एवं छायादार पौधे लगाए गए।
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