हथियार की तस्करी के मामले में गिरफ्तार किए गए एक आर्म्स सप्लायर से मिली जानकारी के बाद वैशाली जिले में लंबे समय से चल रहे मिनी गन फैक्ट्री का खुलासा हुआ है। पटना पहुंची पश्चिम बंगाल पुलिस से मिली जानकारी के बाद पटना व मुजफ्फरपुर एसटीएफ ने मुजफ्फरपुर व वैशाली पुलिस के सहयोग से चेहराकलां प्रखंड के अख्तियारपुर सेहान पंचायत के चपैठ गांव में शफी अहमद के पुत्र साहेब रजा उर्फ अकाली मिया के घर पर छापेमारी कर मिनी गन फैक्ट्री का उद्भेदन किया है। यहां से भारी मात्रा मे गन बनाने की सामग्री जब्त किया गया है। घर को सील करते हुए कटहरा ओपी पुलिस को तैनात कर दिया गया है।
लंबे समय से चल रहा था वर्कशॉप
कटहरा ओपी से महज पांच किलो मीटर उत्तर-पूरब चपैठ गांव स्थित है। इस गांव के वार्ड संख्या एक में मो. सफी अहमद का मकान है। मरहूम शफी अहमद के पुत्र मो. साहेब रजा उर्फ अकाली मियां के पुश्तैनी घर के अन्दर मिनी गन फैक्ट्री लंबे समय से चल रही थी। लोगों के अनुसार हर दिन घर से खट-खट की आवाज लोगों को सुनाई देती थी। घर के कैंपस से बाउंड्री घिरा है। कैंपस की इंट्री गेट हमेशा बंद पाया जाता था। आसपास के लोगों को भी कथित रूप से पता नहीं था कि यहां आर्म्स तैयार हो रहा है। रविवार को भारी संख्या में पहुंची पुलिस ने यहां कार्रवाई की।
अर्द्धनिर्मित वेपन के जखीरे के साथ मशीन-उपकरण बरामद
छापेमारी में लेथ मशीन 04, पिस्टल का स्लाइड 157, पिस्टल का बॉडी 43, बॉडी बनाने का प्लेट 142, लोहे का रॉड 22, देशी कट्टा 01, कारतूस 02, मोबाइल 05 बरामद हुए हैं। े भारी मात्रा में पिस्टल, कट्टा में प्रयुक्त होने वाले पार्टस बरामद हुआ है।
मुंगेर के चार कारीगर व तीन हथियारों के सौदागर गिरफ्तार
पिस्टल के बॉडी निर्माण में जुटे मुंगेर के कासिम बाजार के बेटमैन पक्की गली निवासी निजामुद्दीन के पुत्र मो. लड्डन, मो. ललन व मो. परवेज, जमुई जिला खैरा के झिंगोई निवासी मो. मुख्तार के पुत्र मो. अफरोज के अलावा हथियार का निर्माण करा रहे स्थानीय चपैठ निवासी शफी अहमद का पुत्र साहेब राज, साहेब राज का पुत्र सर्फे आलम व आसिफ रजा समेत सात अपराधी शामिल हैं।
यहां गन के बॉडी व कुछ पार्ट्स ही बनते थे
पुलिस सूत्रों के अनुसार यहां से भारी मात्रा में पिस्टल का बॉडी व बनाया गया अन्य पार्टस बरामद हुआ है। एक देसी कट्टा व दो गोलियों को छोड़कर नया व तैयार कोई आर्म्स नहीं मिला है। माना जा रहा है मुंगेर के कारीगर अत्याधुनिक खतरनाक हथियार का कॉपी करने में माहिर क्यों न हों पर हथियारों को दूसरे प्रांतों में खपाना उनके वश का नहीं है। उनकी इन्हीं कमजोरियों को हथियार तस्करों ने भुनाना शुरू कर दिया है। हथियारों के सौदागरों ने पुलिस दबिश से अंडरग्राउंड हो चुके उन्हीं कारीगरों को हायर कर रखा है। गुप्त स्थान पर वर्कशॉप बनाकर हथियार का अलग-अलग पार्टस तैयार किया जाता है। फिर कहीं और एसेंबल किया जाता है।
सवालों के घेरे में बिजली विभाग
हथियार का निर्माण करा रहे स्थानीय साहेब रजा के पुत्रों ने गन बनाने की फैक्ट्री में लगाए गए भारी-भरकम लंेथ मशीन चलाने के लिए बिजली का कनेक्शन भी ले रखा था। वर्कशॉप चलाने के लिए लगी बिजली का मीटर देखकर पुलिस अफसरों को अचंभा हुआ। डोमेस्टिक यूज की तुलना में दस गुना से भी अधिक एक लेंथ मशीन लोड लेता है। यहां तीन-तीन लेंथ मशीन लगे थे। पुलिस ने चेहराकलां के जेई से इस संबंध में बात की। जेई ने सफाई दी कि साहेब रजा के पुत्र तारिक अनवर के नाम से कनेक्शन है। एलटीई कनेक्शन उसे दिया गया है। पुलिस जांच कर रही है।
मुंगेर मॉडल आर्म्स की देशभर में डिमांड
कहा जाता है कि मुगल काल से अंग्रेजों के जाने बाद तक मुंगेर की सरकारी गन फैक्ट्री अस्तित्व में रही। गन फैक्ट्री बंद हो जाने के बाद यहां के कारीगरों ने अपना हुनर अपने परिवार व संबंधी के युवकों, शागिर्दों में ट्रांसफर कर दिया। पीढी दर पीढ़ी हथियार के कारीगर तैयार होते गए। जीवनयापन के लिए चोरी-चुपके उन लोगों ने आर्म्स बनाना व बेचना शुरू कर दिया। इस अवैध पुस्तैनी कारीगरी से मुश्किल से ही उनका जीवन-यापन हो पाता था। जानकारों ने बताया कि पिछले करीब एक-डेढ़ दशक से आर्म्स सप्लायरों ने उन कारीगरों को हायर कर लिया है। मुंगेर भले अब भी अवैध हथियारों की मंडी बनी हुई है पर लोकल लेवल पर अब बहुत कम ही हथियार बनते हैं।
हथियार के सौदागरों से एसपी का यहां भी पड़ गया पाला
वैशाली एसपी गौरव मंगला ने इस बात की उम्मीद भी नहीं की होगी कि वैशाली जिले में हथियार के सौदागरों से उनका वास्ता पड़ेगा। मुंगेर के एसपी रहते गौरव मंगला ने आर्म्स निर्माण की बनी मंडी और सप्लायरों के नेटवर्क को तबाह करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी थी। नवंबर 2019 के दूसरे सप्ताह में एक दिन में 07 मिनी गन फैक्ट्री का उद्भेदन किया था। चार दिन बाद ही 20 नवंबर को मुंगेर के तारापुर में 02 और गन फैक्ट्री का उद्भेदन किया था।
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