कोरोनाकाल में तीन माह से रेलवे के कई प्रोजेक्ट रुके पड़े हैं। भागलपुर रेलखंड से जुड़ी करीब आधा दर्जन योजनाएं अटकी हुई है। हालांकि सुखद यह कि इस बीच कुछ काम हो गए। रेल ने लॉकडाउन में ट्रेनों के न चलने का फायदा उठाकर कहलगांव-साहेबगंज के बीच विद्युतीकरण का काम पूरा किया। अब शिवनारायणपुर से भागलपुर तक सीआरएस इंस्पेक्शन होना बाकी है। सीआरएस की हरी झंडी के एक सप्ताह के बाद भागलपुर के रास्ते दिल्ली से हावड़ा तक इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनें चलने लगेंगी। किऊल में फ्रेट कॉरिडोर एवं अारआरआई वर्क भी पूरा हो गया। इससे सिग्नल, प्वाइंट्स की खराबी का पता तुरंत चलेगी और एक्सीडेंट का खतरा कम होगा। लेकिन कई ऐसे प्रोजेक्ट अटके हैं, जिससे इस साल भागलपुर से नई ट्रेनें नहीं चल सकेंगी।
मैन पावर व शेड्यूलिंग बढ़ा काम में तेजी लाएंगे
हमारे सारे प्रोजेक्ट ऑन फ्लोर थे। लॉकडाउन की वजह से कुछ काम अटक गए। जिससे चलते प्रोजेक्ट तय समय पर पूरा नहीं हाे सकेगा। लॉकडाउन पूरी तरह हटने और स्थिति सामान्य होने के बाद सारे प्रोजेक्टों का काम स्वत: तेज हो जाएंगे। मैन पॉवर व शेड्यूलिंग बढ़ाकर काम में तेजी लाई जाएगी।
यतेंद्र कुमार, डीआरएम, मालदा।
आधे-अधूरे प्रोजेक्ट, जिसने यात्री सुविधाएं रोकीं, रेल की तस्वीर भी नहीं बदलने दी, जानिए...
1. भागलपुर-बांका इलेक्ट्रीफिकेशन : बांका रूट पर विद्युतीकरण जरूरी है। टेकानी इसी रूट पर है। यहां माल लोड-अनलोड होता है। गुड्स ट्रेनों में इलेक्ट्रिक इंजन लगाने से ज्यादा डिब्बे लगाए जा सकेंगे। इस रूट पर विद्युतीकरण के बाद नई ट्रेनें चलाई जा सकेंगी। दूसरे चरण में बांका से दुमका तक किया जाना था।
असर : सितंबर तक यह पूरा नहीं हो सकेगा। छह माह बाद ही यह शुरू हो सकेगा।
2. जमालपुर के दूसरे सुरंग का काम भी अधूरा : भागलपुर-जमालपुर रेलखंड पर रतनपुर के पास बरियाकोल सुरंग का काम पूरा नहीं हो सका। सुरंग का निर्माण मार्च 2020 तक पूरा करने का टार्गेट था। 35 करोड़ से 903 फीट लंबे व 20 फीट चौड़े इस सुरंग के बनने से अप-डाउन की गाड़ियां सुगमता से निकल जाती।
असर : ट्रेनों को आउटर पर काफी देर बेवजह खड़ी करनी पड़ेगी। इससे यात्रा की अवधि बढ़ेगी।
3. रतनपुर में डबल लाइन नहीं : भागलपुर-जमालपुर रेलखंड पर रतनपुर के पास दोहरीकरण होना था। बैरियाकोल सुरंग के पूरा होने के बाद इसे शुरू करना था। अब यहां दोहरीकरण में देरी होगी। दिल्ली से हावड़ा के बीच सिर्फ यहीं कुछ किमी. दोहरीकरण नहीं हो सका है।
असर : एक ही ट्रैक पर अप-डाउन की गाड़ियां चलने से ट्रैफिक जाम हो जाता है। इससे जहां-तहां गाड़ियां रात में भी खड़ी करनी पड़ती है।
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