वर्ष 1995 में मैं पहली बार राजीव नगर गया था। मेरी बुआ वहां रोड नंबर 9बी में रहती है। पास के खाली खेत में फुफेरे भाई के साथ क्रिकेट खेलने गया तो पड़ोस से गुलशन भी खेलने आ गया। जब 1997 में मेरा एडमिशन संत कैरेंस हाई स्कूल पटना में हुआ, तब मैं मेरी फुआ के घर में ही रहकर पढ़ाई करता था।
फुआ ने मेरी स्कूल की सीनियर श्वेता दीदी से पहचान कराई जो गुलशन की बड़ी बहन थी। गुलशन का नाम सुशांत कुमार सिंह, मेरा नाम सुशांत रंजन। दोनों एक ही स्कूल के एक ही कक्षा में पढ़ते थे और रहते भी पड़ोस में ही थे, इस वजह से थोड़े समय में ही काफी अच्छी दोस्ती हो गई। मैं, श्वेता दीदी और गुलशन, स्कूल के अन्य बच्चों के साथ पॉलीटेक्निक मोड़ तक पैदल जाते थे।
10वीं के बाद दिल्ली चला गया
दसवीं में स्कूल के हेड बॉय के चुनाव में उसे स्कूल का ट्रेजरर बनाया गया था। स्कूल-कॉलेज की बातें बड़ी अनोखी होती हैं। दशक बीत जाने के बाद भी कल की बात लगती है। हर छोटी से छोटी बात याद रह जाती है। उस से आखिरी मुलाकात 141/डी एस के पूरी स्थित हमारे स्कूल के एकेडमिक सेक्शन में हुयी थी। 2001 में दसवीं के एग्ज़ाम्स ख़त्म होने के बाद हम अपना रिजल्ट लेने गए थे। तभी उसने बताया था की वो आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली जायेगा। वो दिल्ली चला गया और फिर उससे मुलाकात नहीं हुई।
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