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सभापति ने जीतने वाले 9 उम्मीदवारों को दिलाई शपथ, सदस्यों की संख्या दोगुना होने के बाद भी विपक्ष के नेता से वंचित रहेगा राजद https://ift.tt/3giRKa2

विधानपरिषद चुनाव में जीते 9 प्रत्याशियों जदयू के गुलाम गौस, भीष्म सहनी, कुमुद वर्मा, भाजपा के सम्राट चौधरी व संजय मयूख, राजद के सुनील सिंह, फारुख शेख व रामबली सिंह और कांग्रेस के समीर कुमार सिंह ने बुधवार को शपथ ले ली।

विधानपरिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के अलावा विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी मौजूद थे। विधान परिषद के सभागार में आयोजित सादे समारोह में सभापति ने सबसे पहले जदयू के कुमुद वर्मा को शपथ दिलाई। उसके बाद अन्य लोगों को शपथ दिलाईगई।

सोमवार को सभी 9 दलीय प्रत्याशियों की निर्विरोध जीत हुई थी। विधानसभा कोटे से विधान परिषद की 9 सीटों के लिए जदयू-राजद के 3-3, भाजपा के 2 और कांग्रेस के 1 ही उम्मीदवार मैदान में थे। विधानसभा में सदस्य संख्या के हिसाब से सबकी जीत पहले से पक्की थी। विधानपरिषद में 9 सीटों के लिए 6 जुलाई को चुनाव होना था, लेकिन सिर्फ 9 लोगों द्वारा ही नामांकन करने के कारण चुनाव की नौबत ही नहीं आई। इसके बाद सभी का निर्विरोध चुना जाना तय हो गया था।

विधानसभा कोटे की 9 सीटों के विधानपरिषद चुनाव में जीत के लिए एक उम्मीदवार को कम से कम 25 विधायकों के वोट की आवश्यकता थी। इस समय विधानसभा में राजद के 80, जदयू के 70, भाजपा का 54 और कांग्रेस के 26 विधायक हैं।

विधानपरिषद में अब भी 20 सीट रिक्त
इस चुनाव के बाद भी 75 सदस्यीय विधान परिषद में 20 सीटें अब तक रिक्त हैं। इसमें 12 राज्यपाल के मनोनयन कोटे की जबकि 4-4 स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की सीटें हैं। विधानसभा कोटे की 9 सीटों के लिए हुए चुनाव के बाद विधानपरिषद में सदस्यों की संख्या बढ़कर 55 हो गईहै।

बदला गणित, दोगुना होने के बाद भी विपक्ष के नेता से वंचित रहेगा राजद
विधानसभा कोटे की इन 9 सीटों के लिए चुनाव के बाद विधान परिषद का गणित भी बदल गया है। अब विधान परिषद में जदयू के सदस्यों की संख्या 23, सभापति समेत भाजपा के सदस्यों की संख्या 19, राजद 6, कांग्रेस 3, हम व लोजपा 1-1 और निर्दलीय सदस्यों की संख्या 2 हो गयी है। पहले राजद के तीन सदस्य थे। अब विधानपरिषद में राजद के सदस्यों की संख्या बढ़कर 6 हो गई है। राजद के सदस्यों की संख्या दो गुना होने के बाद भी विपक्ष के नेता पद से पार्टी वंचित ही रहेगी। विधान परिषद में 10 फीसदी सदस्य संख्या के आधार पर विपक्ष के नेता पद का दावा किया जा सकता है। इसके लिए कम से कम 8 सदस्य होना आवश्यक है।



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विधानपरिषद के सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण करने वाले उम्मीदवार।


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