बाढ़ प्रभावित लकड़ी नबीगंज, बसंतपुर, गोरेयाकोठी, भगवानपुर हाट के गांवों में 20 दिन बाद भी स्थिति सामान्य नहीं हो सकी है। बाढ़ में इन चारों प्रखंडों की 29 पंचायतों के कुल 63 गांव डूबे हुए हैं। इन गांवों में रहनेवाली 56915 की आबादी बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित है। गांवों में बाढ़ का पानी कम हो रहा है लेकिन घरों के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण उसमें लोगों का रहना मुनासिब नहीं हैं। जो घर सही-सलामत हैं उनमें कीचड़ जमा हो गया है। कहा जाए तो विस्थापितों के लिए घर लौटना अभी संभव नहीं है।
लोग अभी भी नहर के तट पर रात-दिन गुजारने को विवश हैं। बाढ़ पीड़ित परिवार लगातार मौसम जनित बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। भादा नहर पर रह रहे मुकेश ने बताया कि जिंदगी भी अजब खेल कर रही है। कोरोना महामारी से बचने के लिए पंजाब से पैदल गांव आए थे। यहां मेहनत मजदूरी कर परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारना चाह रहे थे तभी प्राकृतिक आपदा ने बेघर कर दिया। इस समय प्लास्टिक का आशियाना ही सहारा है। बारिश होने के बाद लोगों की परेशानी और बढ़ जाती है।
गोपालगंज: वाल्मीकि नगर डैम से छूटा 1.92 लाख क्यूसेक पानी
चार प्रखंडों में गंडक नदी कहर बरपा रही है। बराज से डिस्चार्ज में वृद्वि के कारण बढ़ रहे जलस्तर से लोगों के फिर से होश उड़ गए हैं। पिछले 24 घंटे में नदी का जलस्तर 6 सेंटीमीटर पानी बढ़ा रहा है। इससे बाढ़ग्रस्त इलाके में परेशानी बढ़ गई है। प्रभावित इलाके में बाढ़ का पानी अभी हटने का नाम नहीं ले रहा है। 18 दिन बाद भी बाढ़ 2 लाख से ज्यादा आबादी बाढ़ की चपेट में है। 70 गांव टापू बने हैं, जहां आवाजाही पूरी तरह से ठप है। कई रिहाईसी इलाकों में 3 से चार फूट पानी बह रहा है। करीब 4 हजार परिवार घर छोड़कर अभी भी बांध व सड़क पर शरण लिए हैं।
सारण: 1.92 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज, एसएफसी गोदाम में पानी
गंडक बराज से लगातार पानी डिस्चार्ज किया जा रहा है। जिस कारण बाढ़ प्रभावित इलाकों में जलस्तर बढ़ते ही जा रहा है। सारण जिले के अभी 10 प्रखंड प्रभावित है। मंगलवार को बराज से 1.92 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है। बाढ़ से सबसे बड़ा नुकसान हुआ है कि मढ़ौरा प्रखंड के एसएफसी गोदाम में करोड़ों रुपये का स्टॉक किए गए खद्यान्न में पानी घुस गया है। हालांकि अनाज अभी पांच फीसद ही बर्बाद पाया गया है। तत्काल प्रशासनिक तौर पर चचरी पुल बनवा कर दूसरे जगह शिफ्ट किया जा रहा है। गोदाम के भीतर अगस्त महीने का खाद्यान्न भरा हुआ था।
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