करोड़ों के लोन डिफॉल्टरों की संपत्ति बेचकर एनपीए खाता जीरो करने में बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) के पसीने छूट रहे हैं। कलिंगा सेल्स और ओसवाल एग्रो फूड कंपनी की संपत्ति का कोई खरीदार अब तक सामने नहीं आया है। बुधवार को दोनों प्रमुख डिफाल्टरों की संपत्ति की बिक्री के लिए ई-ऑक्शन का अंतिम दिन था। यह चौथी बार हुआ कि इन दोनाें की संपत्ति काे खरीदने के लिए कोई आगे नहीं आया।
कलिंगा सेल्स का मालिक एनवी राजू सृजन घोटाले में चार्जशीटेड है। वह कारोबार बंद कर शहर छोड़ चुका है। राजू ने बैंक के खिलाफ नाजायज तरीके से ब्याज लगाने और उसकी वसूली के लिए खाता को एनपीए करने का आराेप लगाया है।
इसके खिलाफ उसने डीआरटी कोर्ट में बैंक ऑफ बड़ौदा के खिलाफ केस किया है, जहां मामला पेंडिंग है। खरीदार को डर है कि यदि डीआरटी का फैसला राजू के पक्ष में आ जाता है तब खरीदी गई संपत्ति हाथ से निकल जाएगी।
ओसवाल कंपनी के मालिक रूपेश वैद ने बिजली समस्या के चलते यूनिट बंद होने और उसे पुनर्जीवित करने को सरकार से गुहार लगाई है। एमएसएमई और उद्योग विभाग की अनुशंसा पर राज्य स्तरीय शीर्ष समिति ने यूनिट काे रुग्ण भी घोषित किया है। ऐसे में खरीदार इनकी संपत्ति खरीदने से भी परहेज कर रहे हैं।
करोड़ों की संपत्ति की चौथी बार लगी बोली
बैंकिंग सेवा के जानकारों ने बताया कि सरफेसी एक्ट से जब्त संपत्ति का यदि कोई खरीदार नहीं आता है तब बैंक तीन बार ई-ऑक्शन की प्रक्रिया अपनाता है। संपत्ति नहीं बिकी तो मामला बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के पास जाएगा। जहां बैंक के अधिकारी के अलावा आरबीआई, वित्त मंत्रालय, अर्थशास्त्री आदि की बैठक में तय किया जाएगा कि संबंधित संपत्ति की कीमत क्या हो?
किस पर कितना बकाया
ओसवाल एग्रो फूड पर एक करोड़ 67 हजार 527 रुपये बकाया है। बैंक ने बियाडा में मिनी फ्लावर मिल खोलने के लिए 88 लाख का लोन प्रोप्राइटर रूपेश कुमार वैद काे दिए थे।
एनवी राजू पर बैंक का 1.56 करोड़ बकाया है। इसके लिए डॉ. आरपी रोड में ईश्वरी काम्पलेक्स में ग्राउंड फ्लोर और पुलिस लाइन रोड में अध्यावती टॉवर के बेसमेंट की संपत्ति बेची जानी है।
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