चुनावी माहौल में जारी झपट्टामार युद्ध में अनुसूचित जातियां केंद्र में हैं। इसी घटनाक्रम में मंगलवार को रालोसपा ने बसपा और जनवादी पार्टी सोशलिस्ट के साथ मोर्चा बना लिया और सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया। इन घटनाक्रमों से साफ है कि राजनीति के घोषित चेहरे/ सत्ता के दावेदार अनुसूचित जातियों का ‘दलित देवो भव:’ की हांक के साथ स्वागत कर रहे हैं।
पद-प्रतिष्ठा से नवाज रहे हैं। इसके मूल में है लोजपा, जिसके अध्यक्ष चिराग पासवान के तेवरों को देख जदयू ने झुकने के बजाय ....सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊ़... की तरह पहले हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी को अपने पाले में किया। फिर मंत्री अशोक चौधरी को राज्य ईकाई का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया।
मांझी, दलितों की जमात मुसहर से आते हैं तो चौधरी, पासी जाति का प्रतिनिधत्व करते हैं। राजद ने भी जदयू के इस शह का जवाब पहले मंत्री श्याम रजक और फिर रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष भूदेव चौधरी को पाले में लाकर दिया। रजक, धोबी जाति से आते हैं और 1990 के बाद के राजनीतिक दौर के प्रमुख किरदार हैं।
रजक, राजद छोड़ जदयू में चले गए थे, फिर राजद में लौटे। भूदेव, पासी जाति से आते हैं। राजग और महागठबंधन से इतर नया मोर्चा की कवायद में जुटे राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने भीम आर्मी के चंद्रशेखर रावण से गठजोड़ कर लिया है। भीम आर्मी रविदास वोटों की दावेदार है, जिनको बसपा अपना मानती रही है। रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने अब बसपा के साथ चुनावी नाता गांठ लिया है।
- जदयू ... 27 को नीतीश कुमार ने अशोक चौधरी को कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बनाया
- राजद... 28 को भूदेव चौधरी को पार्टी में शामिल कर प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया
- जाप... भीम आर्मी के साथ प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन की नींव रखी
- और... अब रालोसपा ने बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया
1,65,67,325 आबादी अजा की और 80 लाख से अधिक मतदाता
1990 के बाद की राजनीति में जाति आधारित दलों की संख्या बढ़ी है और जातियों ने भी उन्हें थाम रखा है। राज्य में 23 अनुसूचित जातियां हैं जिनकी 16% आबादी है। 2011 की जगणना के अनुसार जनसंख्या 1,65,67,325 है। इसमें 80 लाख वोटर हैं (50% आबादी वोटर होगी चुनाव आयोग का अनुमानित आधार पर)।
अनुसूचित जातियों में सर्वाधिक रविदास हैं, उससे थोड़े की कम पासवान हैं। मुसहर, पासी, धोबी की भी आबादी ठीक-ठाक है। इस चुनावी परिदृश्य में पार्टियों का फोकस भी यहीं हैं। बीते दिनों नेताओं की आवाजाही से यह प्रमाणित भी है। अनुसूचित जातियों पर गठबंधनों का फोकस इसलिए भी है कि फ्लोटिंग वोट यहीं बचा है।
बिहार में अनुसूचित जातियाें की आबादी
रविदास- 46,14,031
दुसाध- 45,60,668
मुसहर- 26,31,683
पासी- 7,13,589
धोबी/रजक- 6,55,615
भुइंया- 6,96,195
राजभर- 2,72,442
डोम/धांगड़- 1,42,131
भंगी- 1,40,470
बांतर- 1,34,689
चौपाल- 75,433
नट- 51531
शेष 11 अनुसूचित जातियों की आबादी 50 हजार से कम है
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