भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने माना है कि चुनावों में बागियों से एनडीए को नुकसान हो रहा है। जितने भाजपा के बागी हैं उतने ही जदयू के भी हैं। हालांकि उनका कहना है कार्यकर्ताओं की अनदेखी हुई है और इसे हम जल्द सुधार लेंगे। पूरे राजनीतिक घटनाक्रम में डॉ. संजय जायसवाल ने भास्कर से सीधी बात की।
सवाल- जदयू-भाजपा का संबंध पुराना है। फिर क्यों संबंधों पर सफाई देनी पड़ रही है? पीएम से लेकर प्रदेश तक बार-बार नीतीश को सीएम बनाने बात क्योंं?
- हमारी तरफ से कोई सफाई नहीं दी जा रही। जो सच है, उसे हम सामने रख रहे हैं। चुनाव होना है और हमारी ओर से क्या है...बस यही बता रहे हैं। फरवीर में ही पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह ने साफ कर दिया था कि राजग की ओर से सीएम नीतीश कुमार ही होंगे। इसके पहले हम नहीं जानते थे कि क्या होगा?
सवाल- पार्टी में पहली बार इतने व्यापक स्तर पर बगावत हो रही है? पूर्व सांसद, विधायक तक पार्टी लाइन से बाहर जा रहे हैं?
- जदयू में भी इतने ही बागी हैं। वे भी एनडीए को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हालांकि भाजपा के बागियों को अम्ब्रेला मिल गया है। लेकिन कहीं न कहीं कार्यकर्ताओं को लेकर हमसे चूक हुई। हम एनडीए का स्वरुप खड़ा नहीं कर पाए। पिछली बार नंदकिशोर यादव संयोजक थे, उन्होंने बड़ा काम किया था। इस बार ऐसा नहीं हो पाया। मंडल-जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं को समितियों में स्थान मिलना चाहिए था। 20 सूत्री समिति में हमारी हिस्सेदारी होती थी। कई काम इस समिति के माध्यम से हो जाता था। मंडल स्तर पर नेता होते थे। दुर्भाग्य से अभी ऐसा नहीं है। पर, हम चुनाव के बाद इसे सुधार करेंगे।
सवाल- पर, बागी नेता तो...
- देखिए, हर व्यक्ति को टिकट का अधिकार है। सभी पार्टी के लिए ही तो काम कर रहे हैं। जो पार्टी के लिए काम करता है वह सेवा को और विस्तार देना चाहता है। जनप्रतिनिधि बनकर वह और काम कर सकता है। पर, भाजपा जब किसी को टिकट दे देती है तो सारी बातें खत्म हो जाती हैं। फिर नेता-कार्यकर्ता उनके लिए काम करने लग जाते हैं। पार्टी की यही खूबसूरती है कि नेता बागी हो सकते हैं, कार्यकर्ता-समर्थक इधर-उधर नहीं होते। आज भी जहां जदयू लड़ रहा है, वहां हम उनके लिए पूरी ईमानदारी से खड़े हैं।
सवाल- युवाओं से संवाद में कहां चूक हुई? तेजस्वी ने 10 लाख नौकरियों की बात की तो आपने मजाक उड़ाया, पर, अब आप भी 4.5 लाख नौकरियां देने की बात करने लगे?
- नहीं। ऐसी बात नहीं। हमारी कभी युवाओं से संवादहीनता नहीं रही। हमारे लिए वे हमेशा केन्द्र में रहे हैं। प्रधानमंत्री ने बार-बार स्थापित किया है। उनकी हर योजना का केन्द्र युवा है। जहां तक नौकरी-रोजगार की बात है, हमने तेजस्वी से झूठे वायदे पर सवाल उठाए हैं। जो व्यक्ति शासन में रहते नोकरी देना तो दूर, कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दे सकता, वह क्या बात करेगा। तेजस्वी डेढ़ साल खुद सरकार में रहे..100 नौकरी भी दे पाए क्या? पंजाब में महागठबंधन की सरकार है, दो वर्षों में 33 हजार लोगों को नौकरी दी। झारखंड में कितनी नौकरी दी? हमने स्पष्ट बताया 4.50 लाख नौकरियां तो शिक्षा-स्वास्थ्य के क्षेत्र में देंगे। इसके अलावा रिक्त पदों पर बहाली होगी। 19 लाख रोजगार के अवसर सृजित करेंगे।
सवाल- ऐसा नहीं लग रहा कि आप अपनी बात कहने की बजाए, सामने वाले के सवालों में उलझे हैं? विपक्ष के हमले के परेशान दिख रहे हैं? जंगलराज की बात कहनी पड़ रही है?
- नहीं, ऐसी बात नहीं। हम स्थिति स्पष्ट कर रहे हैं। विपक्ष में कोई ताकत ही नहीं है, उससे क्या परेशानी हो सकती है। तेजस्वी इस समय जंगलराज के प्रतीक हैं। लालू-राबड़ी के शासन काल में जो कुछ हुआ, वह किसी से छुपा है क्या? उनके समय में कितने उद्योगपति, व्यावसायी, डॉक्टरों का अपहरण हुआ। कितने महत्वपूर्ण लोगों की हत्या हुई, किस तरह अपराध को संरक्षण मिला। सारे उद्योगपति भयभीत होकर बिहार से भाग गए। लोग पलायन को मजबूर हुए। उस शासन से सम्बद्ध व्यक्ति उद्योग की बात करे और रोजगार की बात करे तो इससे बड़ा झूठ क्या हो सकता है?
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